अंटार्कटिका के -98 डिग्री तापमान में रहते हैं 4000 लोग, साल में एक बार शिप

अंटार्कटिका पृथ्वी पर सबसे ठंडी जगह है। ये बात हम सब जानते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यहां का तापमान कितना होगा…यहां कोई रहता भी है या नहीं और अगर रहता है, तो वो इतनी ठंड में कैसे सर्वाइव करता है? आइए इन सभी सवालों के जवाब जानें…

पृथ्वी के दक्षिणतम महाद्वीप- अंटार्कटिका का तापमान माइनस 98 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा जाता है। साइंटिस्ट्स के मुताबिक, इतने ज्यादा तापमान की वजह बेहद सूखी हवाएं हैं। यानी यहां हवा की नमी खत्म हो जाती है। इस वजह से यहां कोई शहर, गांव, इंडस्ट्री या घर नहीं हैं। फिर भी करीब 4 हजार लोग यहां रहते हैं।

अंटार्कटिका में रहने वाले ज्यादातर लोग साइंटिस्ट, रिसर्चर्स या टूरिस्ट होते हैं। ये साइंटिस्ट या रिसर्चर्स साइंटिफिक रिसर्च स्टेशन में ही रहते हैं, लेकिन ज्यादा वक्त के लिए नहीं। खराब मौसम के चलते एक साल या 15 महीने में एक बार शिप इन लोगों को लेने-छोड़ने आती-जाती है।

अंटार्कटिका में 66 साइंटिफिक रिसर्च स्टेशन हैं।
अंटार्कटिका में 66 साइंटिफिक रिसर्च स्टेशन हैं।

ज्यादातर वक्त अंधेरा रहता है- साइंटिस्ट
यहां दुनियाभर के साइंटिस्ट आते हैं, इसलिए इसका नाम ‘द इंटरनेशनल कॉन्टिनेंट’ भी रखा गया है। एक ब्रिटिश रिसर्च सेंटर में ढाई साल बिताने वाले मौसम विज्ञानिक एलेक्स गैफिकिन ने न्यूज एजेंसी ‘रॉयटर्स’ को बताया कि अंटार्कटिका में सर्दियों के समय लगातार अंधेरा रहता है। यहां रहना काफी मुश्किल और मैजिकल है।

उन्होंने कहा- मैजिकल इसलिए है क्योंकि हमें ऐसी चीजें देखने मिलती हैं, जो दुनिया में कहीं नहीं है, जैसे- विशाल समुद्री जीव, पेंग्विन कॉलोनी और अद्भुत ग्लेशियर।

आंटार्कटिका में काम करने वाले ज्यादातर साइंटिस्ट्स अल्ट्रा वॉयलेट रे (UV rays) के संपर्क में आते हैं। ये संपर्क UV किरणों की अनुशंसित सीमा का पांच गुना होता है।
आंटार्कटिका में काम करने वाले ज्यादातर साइंटिस्ट्स अल्ट्रा वॉयलेट रे (UV rays) के संपर्क में आते हैं। ये संपर्क UV किरणों की अनुशंसित सीमा का पांच गुना होता है।

पैक्ड फूड खाना पड़ता है
उन्होंने कहा- मुश्किल इसलिए क्योंकि यहां खराब मौसम के चलते खाने की समस्या होती है। हमारे पास लिमिटेड फूड सप्लाई होती है। इनकी डिलीवरी बार-बार नहीं की जा सकती। बेस में काम करने वाले शेफ एलन शेरवुड ने बताया कि यहां फ्रोजन या पैक्ड फूड ही खाना पड़ता है। क्योंकि खुला खाना- जैसे सब्जियां, खराब हो जाती हैं। कई साल पहले साइंटिस्ट्स खाने के लिए जानवरों का शिकार करते थे। यहां दुनिया की 90% बर्फ है, लेकिन पानी की सप्लाई भी लिमिटेड होती है। हमें बर्फ को पिघलाना पड़ा है। इसके बाद पाइप की मदद इसे इस्तेमाल किया जाता है।

तस्वीर एक प्लैनेटरी साइंटिस्ट की है। इसमें वो डिजिटल थर्मल-इमेजिंग कैमरा लगाते हुए दिख रहे हैं।
तस्वीर एक प्लैनेटरी साइंटिस्ट की है। इसमें वो डिजिटल थर्मल-इमेजिंग कैमरा लगाते हुए दिख रहे हैं।

साइंटिस्ट्स को स्पेस ऑब्जर्वेशन में मदद मिलती है
‘इंसाइडर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, साइंटिस्ट-रिसर्चर्स अंटार्कटिका में नए जीवों के तलाश, पृथ्वी के जलवायु इतिहास से जुड़ा डेटा, बदलते पर्यावरण के संकेतों और इकोसिस्टम को समझने की कोशिश करते हैं। यहां इंडस्ट्री या शहर न होने की वजह से प्रदूषण नहीं रहता है, जिसकी वजह से आसमान साफ होता है। इससे साइंटिस्ट्स और रिसर्चर्स को स्पेस से जुड़ी जानकारियां ढूंढने में भी मदद मिल जाती है।

तस्वीरों में देखें आंटार्कटिका में जीवन…

तस्वीर अमुंडसेन-स्कॉट साउथ पोल स्टेशन स्थित अमेरिकी बेस है। ये किसी हॉस्टल की तरह है, जहां 154 लोग रह सकते हैं।
तस्वीर अमुंडसेन-स्कॉट साउथ पोल स्टेशन स्थित अमेरिकी बेस है। ये किसी हॉस्टल की तरह है, जहां 154 लोग रह सकते हैं।
साइंटिस्ट्स-रिसर्चर्स के लिए शिप से ही खाने का सामान लाया जाता है।
साइंटिस्ट्स-रिसर्चर्स के लिए शिप से ही खाने का सामान लाया जाता है।
ये शेफ एलन शेरवुड की तस्वीर है। एक बार में वो करीब 100 लोगों का खाना बनाते हैं।
ये शेफ एलन शेरवुड की तस्वीर है। एक बार में वो करीब 100 लोगों का खाना बनाते हैं।
ये अर्जेंटीना के वायु सेना अधिकारी होरासियो मार्कोस की तस्वीर है। वो अर्जेंटीना के माराम्बियो बेस तक पानी पहुंचाने के लिए आर्टिफिशियल फ्रोजन लगून से पाइप जोड़ते हुए दिख रहे हैं।
ये अर्जेंटीना के वायु सेना अधिकारी होरासियो मार्कोस की तस्वीर है। वो अर्जेंटीना के माराम्बियो बेस तक पानी पहुंचाने के लिए आर्टिफिशियल फ्रोजन लगून से पाइप जोड़ते हुए दिख रहे हैं।
इंटरनेट और फोन सर्विस को बनाए रखने के लिए सैकड़ों कर्मचारी भी यहां काम करते हैं। सभी उपकरण ठीक से काम कर रहे हैं यह सुनिश्चित करने के लिए कर्मचारी हेलीकॉप्टर से दूरदराज के इलाकों पर पहुंचते हैं।
इंटरनेट और फोन सर्विस को बनाए रखने के लिए सैकड़ों कर्मचारी भी यहां काम करते हैं। सभी उपकरण ठीक से काम कर रहे हैं यह सुनिश्चित करने के लिए कर्मचारी हेलीकॉप्टर से दूरदराज के इलाकों पर पहुंचते हैं।
साइंटिस्ट्स और रिसर्चर्स को बेस से बाहर निकलकर काम करने के लिए फील्ड-सेफ्टी ट्रेनिंग भी दी जाती है।
साइंटिस्ट्स और रिसर्चर्स को बेस से बाहर निकलकर काम करने के लिए फील्ड-सेफ्टी ट्रेनिंग भी दी जाती है।

इस साल एक लाख टूरिस्ट अंटार्कटिका जाएंगे
द कन्वर्शेसन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल गर्मी के मौसम में एक लाख से ज्यादा टूरिस्ट अंटार्कटिका जाएंगे। 50 शिप इन्हें लेकर अंटार्कटिका पहुंचेगी। वहीं, 2020-21 में कोरोना के कारण सिर्फ 15 टूरिस्ट यहां पहुंचे थे। अब तक के सबसे ज्यादा 55,489 टूरिस्ट 2018-19 में यहां आए थे। 2007-08 में 47,225 टूरिस्ट अंटार्कटिका पहुंचे थे।

द कन्वर्शेसन की रिपोर्ट के मुताबिक, टूरिस्ट सिर्फ 2 या 3 दिन ही यहां रहते हैं।
द कन्वर्शेसन की रिपोर्ट के मुताबिक, टूरिस्ट सिर्फ 2 या 3 दिन ही यहां रहते हैं।

अंटार्कटिका में भूकंप एक समस्या, साल 2020 में 4 महीने में लगभग 85 हजार भूकंप आए
GFZ जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंस ने अपनी एक रिसर्च में खुलासा करते हुए बताया था कि अंटार्कटिका में साल 2020 में 4 महीने के अंतराल में लगभग 85 हजार भूकंप आए थे। ये भूकंप ओर्का सीमाउंट ज्वालामुखी के आसपास के इलाकों में आए थे। यह ज्वालामुखी ब्रेंसफील्ड जलसंधि (Bransfield Strait) के समुद्र तल से 900 मीटर की ऊंचाई पर है। यह अंटार्कटिका के उत्तर पश्चिमी छोर पर पड़ता है।

पोलर साइंस जर्नल में प्रकाशित 2018 की एक रिसर्च के अनुसार, अंटार्कटिक महाद्वीप की टेक्टोनिक प्लेट के नीचे फीनिक्स टेक्टोनिक प्लेट तैर रही है। इसके चलते ही इलाके में फॉल्ट जोन्स बन रहे हैं और कुछ हिस्सों में दरारें पैदा होकर खिंचाव आ रहा है।

अंटार्कटिका में पेंगुइन, सील, निमेटोड, टार्डीग्रेड, पिस्सू जैसे जानवर और कोल्ड वेदर प्लांट्स ही जीवित रह सकते हैं।
अंटार्कटिका में पेंगुइन, सील, निमेटोड, टार्डीग्रेड, पिस्सू जैसे जानवर और कोल्ड वेदर प्लांट्स ही जीवित रह सकते हैं।

याकुत्स्क दुनिया का सबसे ठंडा शहर, तापमान -62.2 डिग्री सेल्सियस
रूस का याकुत्स्क शहर दुनिया का सबसे ठंडा शहर है। 18 जनवरी 2023 को यहां का तापमान -62.2 डिग्री सेल्सियस रहा। दरअसल, ये शहर आर्कटिक सर्कल से 450 किलोमीटर दूर है। यहां की आबदी 2 लाख 70 हजार के करीब है। यहां लोगों का जीवन बहुत मुश्किल है। लोग खुद को गर्म रखने के लिए कपड़ों की कई लेयर पहनते हैं। उनके घर सैकड़ों मीटर गहरी, जमी हुई मिट्टी पर बने हैं। ये मिट्टी गहराई में होने की वजह से घर की गर्मी की वजह से पिघलती नहीं है।

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