बाल मजदूरों की तरफ भी ध्यान दे सिधौली के जनप्रतिनिधि

 

सिधौली। जहां एक तरफ सरकारें बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए कई कानून बना चुकी है लेकिन इन कानूनों का किसी पर असर होता नहीं दिख रहा है। इस मामले में दिखावे के लिए कार्रवाई करके चुप बैठ जाते है। इस कारण से बच्चों से मजदूरी करवाने वालों के हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे है। उल्लेखनीय है कि लोग कहते है ंकि भारत देश का हर बच्चा इस देश का भविष्य है लेकिन जिस उम्र मे बच्चों के हाथों में कलम व कांपिया होनी चाहिये उस उम्र में इन मासूम बच्चों के हाथो मे होटलों के जूठे बर्तन धोने के लिये दे दिये जाते है। इन छोटे मासूम बच्चो को स्कूल जाना चाहिये उस उम्र में यह बच्चे मजदूरी करते देखे जा रहे है।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सत्ता परिर्वतन के बाद लोगो में एक विश्वास जागृत हुआ था कि अब होटलो, फैक्ट्रियों में करने वाले बच्चे यानि बाल मजदूर पर रोक लगेगी और नायक की भूमिका निभाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने कहा भी था कि अब सूबे में बाल मजदूरी नही होगी लेकिन धनलोभी भ्रष्ट बाल श्रम अधिकारी उन्ही के आदेशो की धज्जियां उडाने में कोई कसर नही छोड रहे जिसके चलते तहसील सिधौली ही नही बल्कि पूरे प्रदेश में हजारों की संख्या में बाल श्रमिक पेट पालने के लिये लघु उद्योगपतियों व व्यवसाइयों के इशारे पर नाच नाचने को मजबूर है। इन बाल श्रमिको की पारिवारिक व आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अल्प आयु में रोजी रोटी के चक्कर में खतरनाक कार्यों में जुट जाते है।

उल्लेखनीय है कि अमीरों की आय का साधन बने बाल श्रमिको का भविष्य व जीवन अंधकारमय होता जा रहा है। वहीं सरकार मात्र यह दिखावा कर रही है कि बालश्रमिकों के लिये नयी नयी योजनाये संचालित की जा रही हैं, किन्तु यह खोखली बातें ही साबित हो रही है। इन मासूम बाल श्रमिकों के पास अशिक्षा गरीबी असहाय की स्थिति में प्रतिष्ठानों व जानलेवा उद्योंगो से जुडने के अलावा और कोई चारा नहीं है। श्रम विभाग की नकारात्मक कार्यवाही के चलते बाल श्रम उन्मूलन फ्लाॅप साबित हो हुआ नजर आ रहा है। प्रदेश के होटलों, ईंट भटठों, व अन्य कल कारखानो में यदि छापे डाले जाये तो बाल श्रमिको की तादात के बारे में जानकारी मिल सकती है जिनकी उम्र 8 से 15 वर्ष होगी।

उल्लेखनीय है कि इसी तरह हजारो बाल श्रमिक प्रतिदिन अपनी मौत को आमंत्रित करते हुये आर्थिक पारिवारिक तंगी के कारण इन ब्यवसाय व अन्य उद्योगों से जुडना इन की मजबूरी है।इन जगहों पर बाल श्रमिकों से बारह-चैदह घण्टे कार्य लिया जाता है।जब कि इस कार्य के बदले उन्ह ंपांच से सात या आठ सौ रूपये ही दिये जाते है। जो आज की महंगाई को देखते हुयेे बेहद कम है। यदि सरकार द्वारा बाल श्रम उन्मूलन के प्रति कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आने वाला समय इन बाल श्रमिको का भविष्य पूरी तरह अन्धकार मय हो जायेगा। इस बारे में प्रशासन को इस तरफ नजर उठाने की जरूरत है।

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here