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मौत की टनल में जिंदगी की तलाश: मलबा हटाकर सीधे अंदर पहुंचने की कोशिश फिर शुरू

चमोली। उत्तराखंड में चमोली जिले के तपोवन में छह दिन पहले आई आपदा के बाद टनल में फंसे लोगों को बचाने की कोशिशें जारी हैं। मीडिया रिपोर्ट में ITBP के एक अफसर के हवाले से बताया गया है कि टनल में गुरुवार को शुरू की गई ड्रिलिंग रोक दी गई है। दरअसल, सात मीटर खुदाई के बाद चट्‌टान आ गई। काफी कोशिशों के बाद भी ड्रिलिंग नहीं हो सकी तो रेस्क्यू टीम ने पहले प्लान पर ही काम करने का फैसला किया।

सुबह टनल के अंदर से मलबा निकालने का काम फिर शुरू कर दिया गया है। रेस्क्यू की स्ट्रेटजी में पहली बार बदलाव बुधवार देर रात किया गया था। तब तय हुआ कि टनल में मलबा हटाकर पहुंचने की बजाय 72 मीटर अंदर ड्रिलिंग की जाए। 13 मीटर नीचे तक होल करके अंदर कैमरा डाला जाए और नीचे से गुजर रही दूसरी टनल में वर्कर्स के सुरक्षित होने का पता लगाया जाए।

2 और शव बरामद, अब 168 की तलाश
चमोली की जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने कहा कि इलाके से अब तक 36 शव बरामद किए जा चुके हैं। दो लोग जिंदा मिले हैं। अब 168 लोगों की तलाश जारी है। इनमें से 39 वर्कर्स टनल के अंदर फंसे होने की आशंका है। NDRF के कमांडेंट पीके तिवारी ने बताया कि नदी के किनारे वाले इलाके में शवों की तलाश लगातार की जा रही है।

कल चिनूक हेलिकॉप्टर से मशीनरी भेजी गई थी
गुरुवार को सेना के चिनूक हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू के लिए भारी मशीनरी और मैन पावर चमोली पहुंचाया गया। NDRF और SDRF के लिए 14 पैसेंजर्स और 1400 किलो लोड, बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के पांच अधिकारी और तीन टन सामान को यहां पहुंचाया गया।

नदी में पानी बढ़ने से रोकना पड़ा था ऑपरेशन
गुरुवार दोपहर में अचानक से धौलीगंगा नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया था। रात में चुनिंदा मेंबर्स की टीम के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन फिर से शुरू किया गया। NDRF के मुताबिक, पानी बढ़ने की वजह से टीम को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया था। वहीं, चमोली पुलिस ने आसपास के इलाकों को अलर्ट कर दिया गया है। लोगों से सतर्क रहने के लिए कहा गया है। उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। वाटर लेवल पर ड्रोन से नजर रखी जा रही है।

ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी के ऊपरी हिस्से में झील बनी
उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद मलबा जमा होने के कारण ऋषिगंगा नदी की अपस्ट्रीम ( ऊपरी धारा) में बहाव रुक गया है। इससे नदी के पानी ने झील की शक्ल ले ली है। लगातार पानी के बढ़ते दबाव से झील टूटी तो निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। त्रासदी के बाद आई सैटेलाइट इमेज और ग्राउंड जीरो से आ रही एक्सपर्ट की रिपोर्ट्स में ऐसी आशंका जताई गई है।

हालात का जायजा लेने भेजी गई SDRF की टीम
उत्तराखंड SDRF की DIG रिद्धिम अग्रवाल ने कहा, ‘संभव है कि तपोवन क्षेत्र के पास रैनी गांव के ऊपर पानी जमा होने और झील का रूप लेने की खबरें हैं। इलाके का एरियल सर्वे किया गया है। शुक्रवार सुबह आठ सदस्यों की SDRF टीम को भी मौके पर मुआयना करने के लिए पैदल भेजा गया है।’

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