भारत सरकार के सख्त रवैये के आगे झुका चीन, बोला-गालवन घटना दुर्भाग्यपूर्ण, हालत सुधारने की कर रहे कोशिश

बीजिंग। सीमा विवाद पर भारत के सख्त रवैए के बाद चीन के सुर अब बदलने लगे हैं। चीनी राजदूत सुन वेईडोंग ने गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह इतिहास के लिहाज से एक छोटा पल था। कुछ ही समय पहले गलवान में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, जिसे न तो चीन देखना चाहेगा और न ही भारत। अब हम हालात को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।

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गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच 15 जून को हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी करीब 35 सैनिक मारे गए थे, लेकिन उसने कभी माना नहीं।

दोनों देश आपसी रिश्ते आगे ले जाने का प्रयास करें
चीन-भारत यूथ वेबिनार में बोलते हुए चीनी राजदूत ने कहा कि 70 साल पहले जब दोनों देश डिप्लोमैटिक संबंधों के जरिए जुड़े थे, तब से दोनों देशों के आपसी रिश्ते टेस्ट नहीं हुए। इसलिए ये धीरे-धीरे लचीले होते गए। उन्होंने कहा कि संबंधों को एक समय पर किसी एक चीज से परेशान नहीं होना चाहिए। इस नई सदी में, आपसी रिश्तों को लगातार आगे ले जाने की जरूरत है, न कि पीछे ले जाने की।

चीन के लिए भारत खतरा नहीं बल्कि पार्टनर
चीनी राजदूत ने भरोसा जताया कि दो पुरानी सभ्यताएं, भारत और चीन में आपसी रिश्तों को संभालने की समझ और क्षमता है। उन्होंने कहा कि चीन, भारत को एक पार्टनर के रूप में देखता है, न कि प्रतिद्वंदी के रूप में। चीन भारत को अवसर के रूप में देखता है, न कि खतरे के रूप में।

उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि हम आपसी रिश्तों के बीच सीमा विवाद को उचित स्थान पर रखेंगे। इसके साथ ही हम बातचीत और परामर्श के जरिए आपसी गतिरोध को सुधारने के साथ ही आपसी संबंधों को जल्द से जल्द ट्रैक पर लाने की कोशिश करेंगे।

आत्म-निर्भर बनने के साथ-साथ ग्लोबलाइजेशन भी जरूरी
चीनी राजदूत ने कहा कि दोनों देशों को मदभेदों को भूलाकर शांति के साथ रहना चाहिए। कोई भी देश-दुनिया से अलग होकर विकास नहीं कर सकता है। हमें सिर्फ आत्म-निर्भर ही नहीं बनना चाहिए, बल्कि ग्लोबलाइजेशन के ट्रेंड के हिसाब से बाकी दुनिया का भी खुलकर स्वागत करना चाहिए। इसी के जरिए हम बेहतर विकास कर सकते हैं।

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