देश भर में कई राज्यों में छापे : लॉकर्स, एफडी, गोल्ड सहित 500 करोड़ रुपए के फर्जी बिल का खुलासा

नई दिल्ली। इनकम टैक्स (IT)विभाग ने एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। इसके तहत 500 करोड़ रुपए के फर्जी बिल के जरिए कैश जनरेट करनेवाले एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है। देश भर के कई राज्यों में छापा मारा गया है।

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नेटवर्क के जरिए चलता था रैकेट

जानकारी के मुताबिक, यह रैकेट व्यक्तिगत तरीके से एक नेटवर्क के जरिए चलाया जा रहा था। इसमें इंट्री ऑपरेशन के जरिए फर्जी बिल तैयार किए जाते थे। इसी का पता चलने के बाद इनकम टैक्स विभाग ने कई राज्यों में 42 जगहों पर छापा मारा। इसमें दिल्ली, एनसीआर, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा शामिल हैं। इनकम टैक्स विभाग ने इस छापे में 5 करोड़ रुपए की नकदी, 17 बैंक लॉकर्स और प्रॉपर्टी में बेनामी निवेश तथा सैकड़ों करोड़ रुपयों की फिक्स्ड डिपॉजिट बरामद किया है।

इंट्री ऑपरेशन के नेटवर्क का खुलासा

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) के मुताबिक, गुप्त सूचना के आधार पर इनकम टैक्स विभाग ने इंट्री ऑपरेशन के पूरे नेटवर्क का खुलासा किया है। इसमें बिचौलियों, कैश को हैंडल करनेवालों, जिन लोगों को लाभ मिला और कंपनियों तथा फर्म भी शामिल हैं। अब तक 500 करोड़ रुपए के कागजात और इंट्री का पता चला है।

2.37 करोड़ की नकदी, 2.89 करोड़ की ज्वैलरी बरामद

छापे में संजय जैन और उनके परिवार के साथ अन्य लाभ पानेवाले लोगों से 2.37 करोड़ रुपए की नकदी और 2.89 करोड़ रुपए की ज्वैलरी आदि बरामद हुई है। छापे में पता चला है कि ढेर सारी मुखौटा कंपनियां और फर्म का उपयोग इस फर्जी इंट्री ऑपरेशन के लिए किया जाता था। यह सभी फर्जी कंपनियां बेनामी पैसों और नकदी निकासी फर्जी बिल के जरिए करती थी। इन फर्जी कंपनियों के पर्सनल स्टॉफ या कर्मचारी या एसोसिएट को डमी डायरेक्टर या पार्टनर बनाया जाता था। इन लोगों के सभी बैंक खातों को इन इंट्री ऑपरेटर्स के जरिए मैनेज किया जाता था।

फर्जी पार्टनर्स और कर्मचारी करते थे काम

छापे के दौरान यह पता चला है कि इस तरह के इंट्री ऑपरेटर्स, उनके फर्जी पार्टनर्स, कर्मचारी कैश को इधर-उधर करते थे। जिन लोगों को इस मामले में पकड़ा गया है उसमें अधिकतर लोग तमाम बैंक खातों के मालिक और उससे लाभ उठाने वाले लोग थे। इन लोगों के नाम से लॉकर्स भी मिले हैं। इन लोगों के परिवार के सदस्यों के नाम से भी खाता खोला गया है। सीबीडीटी ने कहा कि इसमें बैंक अधिकारियों के साथ डिजिटल मीडिया के जरिए काम किया जाता था।

जिन लोगों ने लाभ उठाया है वे लोग रियल इस्टेट प्रॉपर्टी में निवेश किए हैं। यह प्रॉपर्टी प्राइम शहरों में थी और साथ ही तमाम एफडी भी इन लोगों ने किया है।

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