उज्जैन। दीपावली पर पटाखे जलाए बिना यह त्योहार पूरा नहीं माना जाता है। लेकिन देश में बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए इसपर बैन लगाये जाने की मांग काफी समय से की जाती रही है। लेकिन धार्मिक संगठनों के विरोध के चलते इसपर पूरी तरह से बैन नहीं लगाया गया है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दीपावली के दिन पटाखों और आतिशबाजी पर मंगलवार को अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट ने पटाखे जलाने की इजाजत तो दे दी लेकिन कुछ शर्तें भी लगा दीं। कोर्ट ने कहा है कि लोग दिवाली के दिन रात 8 से 10 बजे तक पटाखे फोड़े। लेकिन कोर्ट के इस फैसले के बाद अब उज्जैन के बीजेपी सांसद चिंतामणि मालवीय का एक विवादित बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वे तो रात 10 बजे के बाद ही पटाखे जलाएंगे। चिंतामणि मालवीय ने कहा कि हिंदू परंपरा में उन्हें किसी का भी दखल बर्दाश्त नहीं है।
मिली जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरूद्व जाते हुए उन्होंने कहा कि मैं पटाखे जलाऊंगा उसके लिए अगर मुझे जेल जाना पड़े तो कोई बात नहीं। बीजेपी सांसद ने ट्वीट कर लिखा कि मैं दिवाली पर तभी पटाखे फोड़ूंगा, जब लक्ष्मी पूजा खत्म कर लूंगा। त्योहारों को हम समयसीमा में नहीं बांध सकते। वहीं एनसीपी के नेता जितेंद्र आव्हाड ने भी ट्वीट कर लिखा है कि दिपावाली लक्ष्मी पूजा के बाद मनाया जाता है। उसी परंपरा का पालन करूंगा। उन्होंने कहा कि पूजा के बाद ही पटाखे जलाऊंगा उसके बाद जो भी परिणाम हो वो भुगतने के लिए तैयार हूं।
गौरतलब हो कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाते हुए पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने वाले पटाखों के उत्पादन एवं बिक्री की अनुमति दी, जिनसे कम उत्सर्जन हो। अदालत का कहना है कि दिवाली के दिन रात आठ से रात 10 बजे तक ही पटाखे जला सकते हैं। जस्टिस ए.के. सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने हरित नियमों पर खरा नहीं उतरने वाले पटाखों को जलाने पर प्रतिबंध लगाया है, जो पूरे साल लागू रहेगा। यह नियम नए साल के जश्न और शादी-समारोहों में भी लागू रहेगा। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण से होने वाली इंसानी जिन्दगी के नुकसान को देखते हुए पटाखों के प्रयोग को कम करने का फैसला लिया है लेकिन इसपर पूरी तरह से बैन लगाने से इनकार कर दिया है।