सीतापुरः डाक्टर साहब गायब, फार्मासिस्ट और स्वीपर कर रहे इलाज

सीतापुर। प्रदेश शासन के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने सरकारी चिकित्सालयों में आने वाले मरीजों को बेहतर स्वास्थ सेवाऐं निशुल्क उपलब्ध कराने के कड़े दिशा निर्देश जारी किए है वहीं तैनात चिकित्सकों के समय पर उपस्थित रहने हेतु बायोमैट्रिक अटेन्डेन्स की भी ब्यवस्था की है । फिर भी महर्षि दधीचि के धार्मिक नगर मिश्रिख में स्थित एकलौते सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में तैनात चिकित्सकों पर शासन के दिशा निर्देशों का कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है स्वास्थ्य अधीक्षक से लेकर सभी चिकित्सक यहां पर रात्रि विश्राम न करके प्रतिदिन प्रदेश की राजधानी से देर सवेर आवागमन करते हैं इस बात का ठोस सबूत अटरिया इटौंजा के मध्य लखनऊ रोड पर स्थित टोल टैक्स बैरियर पर लगे सी सी टी वी कैमरों में कैद प्रति दिन की फुटेज है।

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वहीं इन चिकित्सकों व्दारा वाहनों की बैरियर पर प्रतिदिन टैक्स के रूप में कटने वाली रसीदों को भी देखा जा सकता है । ऐसे में इन चिकित्सकों की समय से प्रतिदिन बायोमैट्रिक उपस्थिती लगना एक बहुत बड़ा सवाल है या फिर कोई बेइमानी का रास्ता तलासा गया है यह तो तैनात चिकित्सक ही बता सकते है । गौरतलब हो कि धार्मिक कस्बा मिश्रित के महर्षि दधीचि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात स्वास्थ अधीक्षक डा. प्रखर श्रीवास्तव के साथ ही डा.एम पी सिंह , डा.धीरज मिश्रा , डा.आनंद मौर्य , डा.डी पी भारती , डा. आर पी गुप्ता , डा.अनुराग पाण्डेय आदि लग भग आधा दर्जन से अधिक चिकित्सक तैनात हैं।

परन्तु चिकित्सालय में समय पर डा.आनंद मौर्य ही उपस्थित मिलते है तैनात चिकित्सक यहॉ पर रात्रि बिश्राम न करके प्रदेश की राजधानी लखनऊ से प्रतिद दिन देर सवेर आवागमन करते हैं जिससे चिकित्सालय की सभी चिकित्सा ब्यवस्थाऐं ध्वस्त चल रही हैं क्षेत्र के इस इकलौते चिकित्सालय में लगी एक्सरे मशीन बीते दो वर्षों से मरीजों को खराब बताई जा रही है लेकिन उसे सरकारी धन से भी सही कराने हेतु स्वास्थ्य अधीक्षक व्दारा कोई जहमत उठाने की जरूरत नही समझी जा रही है कमीशनबाजी के चलते मरीजों को बाहर से प्राइवेट अल्ट्रासाउण्ड और एक्सरे कराने की पर्ची लिखकर राय दे दी जाती हैं इतना ही नही यहॉ पर तैनात चिकित्सक सरकारी दवा को अच्छी न बताकर बाहर खुले मेडिकल स्टोरों से खरीदने हेतु मरीजों को बाध्य कर रहे हैं जिन मेडिकल स्टोरों पर उनका कमीशन फिट है दूसरे मेडिकल स्टोर से खरीदी गई दवा को नकली बताकर फौरन वापस करा देते हैं।

सर्दी जुखाम बुखार की दवा लेने आए मरीज सुनील कुमार बताते हैं कि वह 12 बजे तक डॉक्टर साहब के आने का इंतजार करते रहे लेकिन जब डा.साहब आये तो उन्होने मरीज का हॉथ पकड़ कर नब्ज तक नही देखी बाहर खुले मेडिकल स्टोर से दवा खरीद लाने की पर्ची लिख दी है परंतु दवा इतनी महंगी थी कि वह खरीद नहीं सका इस लिए वह झोला छाप चिकित्सक के पास इलाज कराने चला गया । दूसरे मरीज ग्राम अकबरपुर निवासी श्रीकांत बताते हैं उनके 8 वर्षीय बच्चे अनमोल के पेट में हल्का दर्द हो रहा था उन्हें कोई चिकित्सक मिला ही नहीं यहां पर तैनात एक मियां जी फार्मासिस्ट जो चिकित्सक के रूप में मौजूद थे ।

उन्होने बच्चे को बिना देखे ही बाहर से दवा लाने की पर्ची लिख दी और बच्चे का बाहर से अल्ट्रासाउंड करा लाने की सलाह देकर चलता कर दिया अब विडंबना तो इस बात की है जहां सत्तासीन प्रदेश सरकार सभी चिकित्सालयों को उच्चीकृत और साधन संपन्न बनाने का हर संभव प्रयास कर रही है वहीं उनके ही मातहत चिकित्सक सभी शासकीय नियमों को ताख पर रखकर आम जनता में प्रदेश शासन की छबि को तार तार करने पर तुले हुए हैं ।

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