नई दिल्ली। लोकसभा में केंद्र की मोदी सरकार ने सोमवार को संविधान संशोधन बिल पेश किया है। इस बिल की खास बात यह है कि राज्यों को भी ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार मिलेगा। बता दें कि हाल में इस बिल को केंद्र की मोदी कैबिनेट ने अपनी हामी भरते हुए इसपर अपनी मुहर लगायी थी। ऐसे में अब बड़ा सवाल है कि आखिर क्यों सरकार इस बिल को सामने लेकर आई है।
इसके बिल से राज्यों को आसानी हो सकती है क्योंकि वो अब अपने तरीके से ओबीसी समुदाय की लिस्ट तैयार कर सके। संशोधित बिल के पास होने जाने के बाद राज्यों को इसके लिए केंद्र पर निर्भर नहीं रहना होगा।
क्या है इसमे
- ये 127वां संविधान संशोधन बिल है
- आर्टिकल 342A(3) के तहत लागू किया जाएगा
- हर राज्य अपने अनुसार ओबीसी वर्ग को चिन्हित कर सकेगा
- केंद्र पर निर्भर नहीं रहना होगा
उधर संविधान संशोधन बिल को लेकर राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में ओबीसी समुदाय पर इसका अच्छा खासा असर देखने को मिल सकता है।
केंद्र के इस कदम से ओबीसी समुदाय को अपनी ओर खींचने का बेहतर अवसर बताया जा रहा है। यहां पर एक बात भी जानना बेहद जरूरी है। दरअसल मेडिकल एजुकेशन की रिजर्व सीटों में केंद्र ने ओबीसी समुदाय और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए लोगों के लिए सीटें आरक्षित करने का बड़ा फैसला लिया था।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री (Union Minister) डॉ. वीरेंद्र कुमार ( Dr. Virendra Kumar) ने निचले सदन में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से संबंधित ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ ( 127 Constitution Amendment Bill 2021) पेश किया।
मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष का विरोध राजनीतिक है. उन्होंने विधेयक के संबंध में कहा कि विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्री भी लगातार इसे लाने की मांग कर रहे हैं
आरक्षण का अर्थ
आरक्षण का मतलब ही यही होता है अपनी जगह हर क्षेत्र में सुरक्षित करना है। यात्रा करने के लिए रेल का डिब्बा हो, किसी भी स्तर पर चुनाव लडऩा हो या फिर किसी सरकारी विभाग में नौकरी पाना हो। हर किसी की इच्छा होती है उस स्थान पर शख्स की जगह सुरक्षित हो।