नई दिल्ली। कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की मीटिंग में गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल पर भाजपा के साथ मिलीभगत के आरोपों पर विपक्ष ने तंज कसा। एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि गुलाम नबी आजाद हमें भाजपा की ‘बी’ टीम कहते थे। अब, उनकी पार्टी के पूर्व प्रमुख ने कहा कि उन्होंने चिट्ठी पर हस्ताक्षर करके भाजपा के साथ मिलीभगत की। कांग्रेस में मुस्लिम नेता समय बर्बाद कर रहे हैं। उन्हें सोचना चाहिए कि वे कब तक कांग्रेस नेतृत्व के गुलाम रहेंगे।’
उधर, भाजपा की नेता उमा भारती ने कहा, ‘गांधी-नेहरू परिवार का अस्तित्व संकट में है। इसका राजनीतिक वर्चस्व खत्म हो गया है। इसलिए अब पद पर कौन रहता है या कौन नहीं यह मायने नहीं रखता है। कांग्रेस को बिना कोई विदेशी एलीमेंट के स्वदेशी गांधी की तरफ लौटना चाहिए।’ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस में सही बात करने वाला गद्दार है। तलवे चाटने वाले कांग्रेस में वफादार हैं। जब पार्टी की ये स्थिति हो जाए तो उसे कोई नहीं बचा सकता।
इससे पहले मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए कई योग्य उम्मीदवार हैं। इनमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, रेहान वाड्रा और मिराया वाड्रा शामिल हैं। कार्यकर्ताओं को समझना चाहिए कि कांग्रेस उस स्कूल की तरह है, जहां सिर्फ हेडमास्टर के बच्चे ही क्लास में टॉप आते हैं।
कांग्रेस की पूर्व नेता दिव्या स्पंदना ने कहा- राहुलजी ने गलती की
कांग्रेस की पूर्व नेता दिव्या स्पंदना ने कहा कि मुझे लगता कि राहुलजी ने गलती की। उन्हें कहना चाहिए था कि कांग्रेस के नेताओं ने यह चिट्ठी भाजपा और मीडिया के मिलीभगत से भेजी। उन्होंने कहा कि ना केवल मीडिया में चिट्ठी को लीक किया, बल्कि अभी चल रही सीडब्ल्यूसी की बैठक की बातचीत को मीडिया में मिनट टू मिनट लीक भी किया जा रहा है। गजब है।
राहुल ने ‘भाजपा से मिलीभगत’ का आरोप लगाया
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोनिया को भेजी गई नेताओं की चिट्ठी की टाइमिंग पर सवाल उठाए। राहुल का आरोप था कि पार्टी नेताओं ने यह सब भाजपा की मिलीभगत से किया। राहुल के इस बयान को बमुश्किल 20-25 मिनट नहीं बीते होंगे कि उनका विरोध शुरू हो गया। विरोध करने वालों में सबसे आगे थे गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल। बाद में कांग्रेस ने कहा कि राहुल ने ‘भाजपा के साथ मिलीभगत’ जैसा या इससे मिलता-जुलता एक शब्द भी नहीं बोला था।
‘मिलीभगत’ बयान पर सिब्बल और गुलाम नबी नाराज हो गए
राहुल के इस कथित बयान को बमुश्किल 20-25 मिनट हुए होंगे कि इसका विरोध शुरू हो गया। विरोध करने वालों में सबसे आगे थे गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल। पूर्व मंत्री सिब्बल ने ट्वीट किया- हमने राजस्थान हाईकोर्ट में कांग्रेस पार्टी का केस कामयाबी के साथ लड़ा। बीते 30 साल में कभी भी, किसी भी मुद्दे पर भाजपा के पक्ष में बयान नहीं दिया। फिर भी हम भाजपा के साथ मिलीभगत में हैं?

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर भाजपा से मिलीभगत होने के राहुल गांधी के आरोप साबित हुए तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।
बाद में सिब्बल ने ट्वीट हटाया
सिब्बल ने एक दूसरे ट्वीट में कहा कि राहुल गांधी ने भी उन्हें निजी तौर पर बताया कि उन्होंने कभी ऐसा बयान नहीं दिया इसलिए मैं अपना ट्वीट हटा रहा हूं।
कांग्रेस नेताओं ने लिखी थी चिट्ठी, भाजपा ने पार्टी की कलह पर तंज कसा
करीब 15 दिन पहले पार्टी के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि भाजपा लगातार आगे बढ़ रही है। पिछले चुनावों में युवाओं ने डटकर नरेंद्र मोदी को वोट दिए। कांग्रेस में लीडरशिप फुल टाइम होनी चाहिए और उसका असर भी दिखना चाहिए। चिट्ठी लिखने वालों में 5 पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल थे।