डोकलाम संकट के बाद की सभी रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय की बेवसाइट से गायब

नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पिछले पांच माह से तनाव की बना हुआ है। चीनी सैनिक सीमा पर डटे हुए हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि चीनी सैनिक सीमा पार कर भारत के क्षेत्र में कब्जा किए बैठे हैं। हालांकि रक्षा मंत्रालय भारत-चीन के बीच टकराव को लेकर ज्यादा जानकारी देने से बचती रही है। खासकर उन इलाकों के बारे में जहां चीन के कब्जे के दावे किए जा रहे हैं।

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मीडिया रिपोर्ट में चीन के कब्जे को लेकर तमाम दावे किए जा रहे हैं पर सरकार मानने को तैयार नहीं की चीनी सैनिक भारत में घुसे थे। फिलहाल अब सामने आया है कि रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट से 2017  के बाद से लेकर अब तक की सारी महीनेवार की रिपोर्ट हटा ली हैं। इनमें तीन साल पहले डोकलाम में हुई दोनों देशों की तनातनी की रिपोर्ट भी शामिल है।

इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने जून महीने की वह रिपोर्ट भी वेबसाइट से हटा ली थी, जिसमें लद्दाख स्थित एलएसी पर चीन की एकतरफा आक्रामकता का जिक्र था।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’  ने इस बारे में रक्षा मंत्रालय से सवाल किया पर उनक तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। पर मंत्रालय के ही सूत्रों का कहना है कि सभी पुरानी रिपोट्र्स जल्द ही वेबसाइट पर वापस आ जाएंगी, वह भी अक्टूबर तक।

इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों का कहना है कि इन रिपोट्र्स को तैयार और साझा करने वाले आंतरिक तंत्र को साफ किया जा रहा है, ताकि रिपोट्र्स को आने वाले समय में और विस्तृत बनाया जाए, न कि उन्हें सिर्फ मंत्रालय के हर भाग से मिले अपडेट्स तक ही सीमित रखा जाए।

बताया गया है कि हर रिपोर्ट सार्वजनिक होने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों से होकर गुजरती है। इन रिपोट्र्स में बालाकोट एयरस्ट्राइक, भारत-पाकिस्तान फाइटर जेट्स की लड़ाई और डोकलाम में सैनिकों की तैनाती, जैसे बड़े ऑपरेशंस का जिक्र नहीं होता।

रक्षा मंत्रालय इससे पहले ही 2017 ७ से पूर्व की रिपोट्र्स वेबसाइट से हटा चुका है। जून में गलवान भिड़त की जो रिपोर्ट वेबसाइट से अगस्त में हटाई गई, उसमें कहा गया था- “एलएसी पर चीन की आक्रामकता लगातार बढ़ रही है, खासकर 5 मई 2020  के बाद से गलवान घाटी में।” इसमें यह भी कहा गया था कि चीनी सेना ने कुगरंग नाला, गोगरा और पैंगोंग सो लेक के उत्तरी तट पर 17-18 मई 2020 को घुसपैठ की थी।

इस रिपोर्ट में भारत और चीनी सैनिकों के बीच गलवान घाटी में 15  जून को हुई मुठभेड़ का भी जिक्र किया गया था। साथ ही बताया गया था कि इस मुद्दे पर कमांडर स्तर की वार्ता जारी है।

इस रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई थी कि सैन्य और राजनयिक स्तर पर सहमति बनाने के लिए जरूर वार्ता होनी चाहिए, लेकिन मौजूदा आमना-सामना लंबा खिंचने की संभावना है। इससे पहले अप्रैल और मई की रिपोट्र्स में चीनी आक्रामकता का जिक्र नहीं किया गया था, पर इसमें एलएसी पर संकट के बारे में इशारे में बताया गया था।

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