नई दिल्ली। इंश्योरेंस रेगुलेटर इरडा की एक समिति ने स्टैंडअलोन माइक्रो-इंश्योरेंस कंपनी शुरू करने के लिए शुरुआती पूंजी की सीमा को घटाकर 20 करोड़ रुपए करने का सुझाव दिया है। वर्तमान कानून के तहत अभी कम से कम 100 करोड़ रुपए की शुरुआती पूंजी लगाकर ही माइक्रो-इंश्योरेंस कंपनी खोली जा सकती है। समिति का मानना है कि शुरुआती पूंजी सीमा को कम करने से देश में माइक्रो-इंश्योरेंस सेगमेंट का तेजी से विकास हो सकता है।
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने माइक्रो-इंश्योरेंस को बढ़ावा देने पर सुझाव देने के लिए इस समिति का गठन किया था। समिति ने कहा कि देश में ज्यादा से ज्यादा आबादी को इंश्योरेंस के दायरे में लाना है, तो अन्य देशों की तरह भारत को भी ज्यादा कंपनियों को इस सेक्टर में आकर्षित करना होगा।
समिति ने 2013 की एक रिपोर्ट के हवाले से कहा कि देश की सिर्फ 9 फीसदी आबादी तक माइको-इंश्योरेंस सेक्टर पहुंच पाया है, जो देश के संभावित माइक्रो-इंश्योरेंस बाजार का 14.7 फीसदी है।
कोरोना संकट में इंश्योरेंस सेक्टर का विकास पहले से ज्यादा जरूरी
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनावायरस महामारी के मौजूदा दौर में यह और भी ज्यादा जरूरी है। महामारी के कारण लाखों लोगों की नौकरी चली गई है और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों पर इसका ज्यादा असर पड़ा है। इसके कारण लोग गरीबी की तरफ बढ़ रहे हैं और पहले से ज्यादा असुरक्षित जीवन जी रहे हैं।
एक ही कंपनी के जरिये लाइफ और नॉन-लाइफ दोनों कारोबार करने की मिले इजाजत
समिति ने यह भी सुझाव दिया कि माइक्रो-इंश्योरेंस कंपनियों को एक ही इकाई के अंदर लाइफ और नॉन-लाइफ दोनों कारोबार करने की इजाजत दी जानी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया कि इरडा और/या केंद्र सरकार को देशभर में इस कारोबार को बढ़ावा देने के लिए एक माइक्रो-इंश्योरेंस डेवलपमेंट फंड बनाना चाहिए। समित का गठन फरवरी 2020 में किया गया था।