नई दिल्ली। खुदरा महंगाई नवंबर में बढ़ी रह सकती है, लेकिन अक्टूबर के मुकाबले कम ही रहेगी। पिछले महीने इसके 7.30 पर्सेंट रहने का अनुमान है, जबकि अक्टूबर में 7.61 पर्सेंट के लेवल पर रही थी। यह अनुमान ब्रोकरेज फर्म निर्मल बंग ने दिया है। सब्जियों का भाव नवंबर में भी चढ़ा रहा था लेकिन उनमें बढ़ोतरी की रफ्तार अक्टूबर के मुकाबले कम रह सकती है।
खाने-पीने के सामान में महंगाई 9.71 पर्सेंट रह सकती है
पिछले महीने खाने-पीने के सामान में महंगाई 9.71 पर्सेंट रहने का अनुमान है जो अक्टूबर में 10.12 पर्सेंट थी। सोने के भाव में मासिक आधार पर आई तेज गिरावट के चलते नवंबर में कोर कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (इसमें खाने-पीने के सामान और ईंधन उत्पाद शामिल नहीं होते हैं) वाली महंगाई 5.77 पर्सेंट के लेवल से घटकर 5 पर्सेंट पर आ सकती है। क्रूड ऑयल का भाव चढ़ने से पेट्रोल और डीजल में महंगाई नवंबर में भी ज्यादा रह सकती है।
खुदरा महंगाई दर मौजूदा लेवल से नीचे जाएगी
ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि खुदरा महंगाई दर मौजूदा लेवल से नीचे जाएगी। इसकी वजह जाड़ों में सब्जियों के दाम में आमतौर पर होने वाली गिरावट और महंगाई का पिछले साल का हाई बेस होगा। जहां तक रिजर्व बैंक की तरफ से अहम ब्याज दर यानी रेपो रेट में कटौती होगी या नहीं और अगर होगी तो कब, यह सब इस पर निर्भर करेगा कि महंगाई कितना नीचे आती है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि ग्लोबल मार्केट में कमोडिटी का भाव फिर से चढ़ रहा है।
थोक महंगाई बढ़कर 2.15 पर्सेंट पर पहुंच सकती है
खाने-पीने के सामान का दाम ऊँचा रहने और ग्लोबल मार्केट में मेटल और क्रूड ऑयल का भाव चढ़ने से थोक महंगाई नवंबर में बढ़कर 2.15 पर्सेंट पर पहुंच सकती है, जो अक्टूबर में 1.48 पर्सेंट रही थी। जहां तक कोर होलसेल प्राइस इंडेक्स (इसमें खाने पीने के सामान और ईंधन उत्पाद शामिल नहीं होते हैं) आधारित महंगाई की बात है तो ग्लोबल मार्केट में इंडस्ट्रियल मेटल का भाव चढ़े रहने से यह नवंबर में बढ़कर 2.44 पर्सेंट पर पहुंच सकती है जो अक्टूबर में 1.6 पर्सेंट थी।
त्योहारी सीजन में रिकॉर्ड प्रॉडक्शन से 1.1 पर्सेंट बढ़ सकता है IIP
औद्योगिक उत्पादन से जुड़ा सूचकांक यानी IIP अक्टूबर में जीरो से ऊपर रह सकता है और सालाना आधार पर यह 1.1 पर्सेंट बढ़ सकता है। निर्मल बंग ने यह अनुमान त्योहारी सीजन से पहले मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मार्केट इंडेक्स यानी PMI और प्रॉडक्शन के रिकॉर्ड हाई लेवल पर होने को लेकर दिया है।
यह बात जरूर है कि अक्टूबर में पेट्रोलियम रिफाइनरी का प्रॉडक्शन कम रहने की वजह से कोर इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री का प्रॉडक्शन पिछले साल के मुकाबले 2.5 पर्सेंट कम रहा था जबकि सितंबर में इसमें सालाना महज 0.2 पर्सेंट की कमी आई थी।
करेंट एकाउंट सरप्लस 11.8 अरब डॉलर रह सकता है
जहां तक करेंट एकाउंट सरप्लस की बात है तो मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर वाली तिमाही में निर्यात के मुकाबले आयात बढ़ने के चलते व्यापार घाटा बढ़ने से यह घटकर 11.8 अरब डॉलर यानी GDP के 1.8 पर्सेंट के लेवल पर आ सकता है। अप्रैल से जून वाली पहली तिमाही में करेंट एकाउंट सरप्लस 19.8 अरब डॉलर था और यह GDP के 3.8 पर्सेंट के बराबर था।