लखनऊ में 30 नवम्बर को ‘महफिल.2018’ सजाएंगे बिरजू महाराज

लखनऊ। पंडित बिरजू महाराज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उनको जानने वाले देश से लेकर विदेश तक है। ‘हमें तो तसल्ली तब होगी जब मुझे यहां कोई लम्बे समय की कार्यशाला करने का मौका मिलेगा…..और खास करके ये काम सरकार की तरफ से होना चाहिए और बहुत ही अच्छे स्तर पर।’ यह कहना है अपने घर लखनऊ से दिल्ली जाकर दुनिया भर में कथक का नाम करने वाले कथक गुरु बिरजू महाराज का।

Advertisement

इन दिनों वे अपनी शिष्या शाश्वती सेन के साथ यहां अल्पिका लखनऊ, कलाश्रम दिल्ली और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के संयुक्त प्रयासों से हो रही ‘आंगिकम्-2018’शीर्षित पंचदिवसीय कार्यशाला में कथक की बारीकियां सिखाने के लिए आए हुए हैं। कार्यषाला यहां गोमतीनगर स्थित संगीत नाटक अकादमी भवन के पूर्वाभ्यास कक्षा में चल रही है। बिरजू महाराज ने कहा कि ये सही है कि चार-पांच दिनों में कुछ तो दृष्टि खुलती है पर ऐसी कथक कार्यशाला चार-पांच दिन की नहीं, कम से कम दो-तीन हफ्तों की होनी चाहिए ताकि सीखने वाले बच्चों के दिमाग में कुछ बैठ जाए।

नही तो हम इतने कम दिनों में जो भी सिखाते हैं वह बदल सा जाता है धीरे-धीरे। कार्यशाला कार्यशाला में स्थानीय व प्रदेश के अन्य शहरों के साथ ही मध्यप्रदेश, गुजरात व महाराष्ट्र आदि के प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं। भुज से कार्यशाला में आई कृपल सोमपुरा की शिष्या जेनेट पाटिल ने बताया-बिरजू महाराज जी से सीखने का मौका पाकर मैं बहुत खुश हुई और तुरंत लखनऊ आ गयी। जो उन्हें नहीं जानता वो कुछ नहीं जानता। वे कथक के भगवान हैं।

मुझे उम्मीद है मैं यहां से बहुत कुछ सीखकर जाऊंगी। दीप्ति यहां मुम्बई से प्रषिक्षण लेने आई हैं। संयोजिका उमा त्रिगुणायत व सहसंयोजिका नृत्यांगना रेनू शर्मा ने बताया कि कार्यशाला में कथक के प्रारम्भिक विद्यार्थियों से लेकर डिग्री प्राप्त कलाकार भी शामिल हैं। हर स्तर पर प्रतिभागियों की संख्या अच्छी है। कार्यशाला के अंत में प्रस्तुति 30 नवम्बर को ‘महफिल-2018’ कार्यक्रम में संत गाडगे प्रेक्षागृह गोमतीनगर में शाम पांच बजे से होगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here