बैंकॉक। थाइलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चन ओचा शनिवार को संसद में अविश्वास मत से बच गए हैं। उन पर आरोप हैं कि उनकी सरकार ने अर्थव्यवस्था को बदहाली की ओर धकेल दिया। इसके अलावा उनकी सरकार ने कोरोना की वैक्सीन के प्रावधानों का उल्लंघन किया, मानवाधिकारों का हनन किया और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।
प्रयुत चन ओचा के अलावा नौ अन्य मंत्री भी अविश्वास मत से बच गए। साल 2014 में सैन्य तख्तापलट होने के बाद साल 2019 में सत्तारूढ़ के बाद प्रयुत की सरकार का यह दूसरा अविश्वास मत है। इससे पहले पिछले साल फरवरी में प्रयुत और उनके मंत्रिमंडल के पांच मंत्रियों ने संसद के निचले सदन में आसानी से अविश्वास मत को हरा दिया था।
वर्तमान में प्रयुत पर यह आरोप भी लगाए गए हैं कि उन्होंने पुलिस अधिकारियों को बढ़ावा देने के लिए अपनी शक्तियों का गलत प्रयोग किया है। साथ ही उन पर यह आरोप हैं कि उन्होंने सोशल मीडिया पर सरकार के अलोचकों को रोकने के लिए साइबर यूनिट का गठन किया। सबसे गंभीर आरोप यह है कि उन्होंने अपनी सरकार के खिलाफ राजतंत्र का उपयोग करके समाज में विभाजन किया।
प्रयुत और उनकी सरकार के खिलाफ पिछले साल छात्रों का एक आंदोलन चलाया गया। जो मांग कर रह थे कि संविधान में संशोधन किया जाए और राजशाही के लिए इसे और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए इसमें सुधार किए जाएं।