पश्चिमी विक्षोभ का असर मैदानी इलाकों में नहीं, नतीजा- दो हफ्ते पहले आ गई गर्मी

अगर आपको फरवरी में अचानक गर्मी ज्यादा महसूस हो रही है तो यह आपका वहम नहीं है। दरअसल, इस बार गर्मी दो हफ्ते पहले खिसक गई है। फरवरी के आखिरी हफ्ते में देश के मैदानी हिस्सों में अधिकतम तापमान में सामान्य से 5-8 डिग्री की बढ़ोतरी दर्ज हो रही है। हालांकि शनिवार शाम उत्तराखंड व हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में हल्की बर्फबारी हुई, मगर यह भी सिर्फ एक दिन की ही राहत थी।

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मैदानी इलाके में बारिश भी नहीं हुई
निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट के विज्ञानी महेश पलावत ने बताया कि आमतौर पर फरवरी में चार से पांच पश्चिमी विक्षोभ आते हैं, जिसके असर से पहाड़ी राज्यों जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में बर्फबारी तो उत्तर-पश्चिमी मैदानी राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व राजस्थान के तमाम इलाकों में हर बार एक से दो दिन तक बारिश होती है। लेकिन इस बार 4 फरवरी के बाद से किसी भी पश्चिमी विक्षोभ का असर मैदानी इलाकों में नहीं हुआ, बीते 23 दिनों में किसी भी मैदानी इलाके में बारिश नहीं हुई है।

मानसून के समय पर आने की उम्मीद
यूरोप के नीचे भूमध्य सागर से जो बादल पाकिस्तान होते हुए भारत पहुंचते थे, इस बार वो बादल हिमालय की पहाड़ियों से टकराने से पहले ही कश्मीर के रास्ते मध्य एशिया चले गए। इसके कारण मैदानी इलाकों में तापमान दिनोदिन बढ़ता गया।

एक मार्च को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान में एक बार फिर तापमान में मामूली कमी आने की संभावना है, लेकिन उसके बाद फिर से तापमान बढ़ेगा। इसका एक सुखद संकेत ये है कि अगर यही पैटर्न कायम रहा, तो इस बार मानसून समय पर आएगा और बारिश भी अच्छी होगी।

BHU के न्यूरोसाइंस विभाग में प्रोफेसर वीएन मिश्रा बताते हैं कि फरवरी में पहली बार गंगा, बनारस में घाट छोड़कर इतना पीछे चली गई है। अमूमन ऐसा नजारा अप्रैल तक दिखता था। इस बार गर्मी जल्दी आ गई।

बनारस में गंगा फरवरी में ही घाट से 50 फीट पीछे
बनारस में गंगा फरवरी में ही घाट से 50 फीट पीछे

उत्तराखंड में जनवरी में ही खिले बुरांश फूल
उत्तराखंड में बसंत आने पर बुरांश का जो फूल मार्च मध्य में सुर्ख लाल खिलता था। वो अब जनवरी में ही खिल जा रहा है। इसी तरह अखरोट के पेड़ पर फूल मार्च मध्य के बाद आते हैं लेकिन इस बार ये जनवरी में ही आ गए।

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