नई दिल्ली। बांग्लादेश 1971 में भारत की मदद से आजाद हुआ था। 2021 में बांग्लादेश को आजाद हुए 50 साल हो गए। यह वर्ष उसकी आजादी का गोल्डन जुबली वर्ष है। इस मौके पर भारत की बीएसएफ यानी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स ने बांग्लादेश के साथ लगती सीमा पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया। सिलीगुड़ी के नजदीक फुलबारी में शनिवार को आयोजित इस समारोह में BGB यानी बॉर्डर गॉर्ड ऑफ बांग्लादेश के जवान शामिल हुए।
बीटिंग रिट्रीट के बारे में BSF के आईजी सुनील कुमार ने कहा, ”यह बहुत ही सुखद पल है। ना केवल इसके लिए हम सालभर बाद रिट्रीट कर रहे हैं। बल्कि एक साल बाद एक दूसरे को करीब से दोबारा देख सके हैं। कोशिश होगी कि बीटिंग रिट्रीट को हर हफ्ते किया जाता रहे।”
2021 में बांग्लादेश के लिए महत्वपूर्ण
बांग्लादेश के लिए यह साल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बंगबंधू शेख मुजिबर्रमान का यह 100वां जयंती दिवस है। इस मौके पर बांग्लादेश अपने पड़ोसी भारत को न्योता दिया। जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश की यात्रा पर शुक्रवार को ढाका पहुंचे थे। उन्होंने अपने भाषण में बांग्लादेश की आजादी में भारत के योगदान को याद किया। साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्णय की भी तारीफ की।
भारत की मदद से 1971 में कैसे बना बांग्लादेश
बांग्लादेश अपनी आजादी के पहले पूर्वी पाकिस्तान था। यह भारत से बंटवारे के दौरान दो हिस्से में बंटे मौजूदा पाकिस्तान का एक हिस्सा था। लेकिन पाकिस्तान की दोहरी नीति के कारण बांग्लादेश में आंदोलन शुरू हुए। इसे पश्चिमी पाकिस्तान से संचालित सत्ता ने सैन्य बल पर दबाने का प्रयास किया। इसके बाद भारतीय सेना ने बांग्लादेशियों की मदद की और उन्हें आजादी दिलाकर नया राष्ट्र बनाने में मदद की।
भारत के सामने पाकिस्तान ने किया सरेंडर
एक अनुमान के मुताबिक बांग्लादेश लिबरेशन वार के दौरान 3 से 30 लाख मुस्लिम, हिंदू, बंगाली और नॉन बंगाली लोग मारे गए थे। 25 मार्च 1971 को बांग्लादेश लिबरेशन वार शुरू हुआ था। 3 दिसंबर 1971 से 16 दिसंबर 1971 तक भारत और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच जंग हुई।
भारतीय सेनाओं ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट फोर्स के साथ जंग लड़ी और पाकिस्तान की सेना को सरेंडर करना पड़ा। करीब 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने इस जंग में भारत के सामने सरेंडर किया था। भारत इन सैनिकों को बाद में पाकिस्तान को सौंप दिया था।