यूरोप में घिरा चीन: हंगरी में चीनी यूनिवर्सिटी बनाने के विरोध में हजारों लोग सड़कों पर

बुडापेस्ट। हंगरी में चीन की फुदान यूनिवर्सिटी का कैम्पस खोले जाने का विरोध शुरू हो गया है। लोगों का आरोप है कि हंगरी सरकार ने चीन के दबाव में आकर राजधानी बुडापेस्ट में इस कैम्पस को खोले जाने की मंजूरी दी थी। विरोध करने वालों का आरोप है कि अगर चीनी यूनिवर्सिटी का कैम्पस देश में खुलेगा तो इससे कम्युनिस्ट विचारधारा को बढ़ावा मिलेगा और कम्युनिस्ट हावी हो जाएंगे।

Advertisement

एक महीने में दूसरा मौका है जब चीन को यूरोप में विरोध का सामना करना पड़ा है। इसके पहले लिथुआनिया ने चीन के 17+1 संगठन से अलग होने का फैसला किया था। लिथुआनिया ने बाकी देशों से भी ऐसा ही करने की अपील की थी। लिथुआनिया सरकार ने कहा था- चीन बंटवारे की रणनीति अपना रहा है।

हंगरी में क्या हुआ
हंगरी सरकार ने राजधानी बुडापेस्ट में चीन की फुदान यूनिवर्सिटी का कैम्पस खोलने की मंजूरी दी थी। इसका काम भी शुरू हो गया था। प्रधानमंत्री विक्टर ओरबन ने इसे शिक्षा में सुधार के लिए जरूरी फैसला बताया था। विक्टर को चीन का करीबी माना जाता है। पहले तो इसका मामूली विरोध हुआ। अब हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं।

CNN से बातचीत में 22 साल के स्टूडेंट पैट्रिक ने कहा- हमारी सरकार ही देशद्रोह कर रही है। उसके इस कदम से हमारी एजुकेशन की क्वॉलिटी खराब होगी और इसका सीधा असर पूरी यूरोपीय यूनियन पर पड़ेगा। मैं तो चाहता हूं कि हमारी सरकार चीन से रिश्ते ही न रखे।

हमारी यूनिवर्सिटी को ही बेहतर बनाया जाए…
पैट्रिक कहते हैं- जो फंड चीनी यूनिवर्सिटी को तैयार करने पर खर्च किया जा रहा है, वो हमारी यूनिवर्सिटीज की बेहतरी पर खर्च किया जाए तो इससे देश और यूरोपीय यूनियन को फायदा होगा।

एक और छात्र ने कहा- जो जगह यूनिवर्सिटी के लिए दी गई है, वहां हमारे हॉस्टल बनने थे। हमारे रहने की जगह चीन जैसी किसी विदेशी ताकत को कैसे दी जा सकती है। चीन में तानाशाही हो सकती है, यहां तो ऐसा मुमकिन नहीं है। खास बात यह है कि बुडापेस्ट के मेयर भी सरकार का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने प्रदर्शनकारियों के साथ उनके मार्च में भी हिस्सा लिया। उन्होंने कहा- हमारी सरकार चीन की तानाशाही को यहां लेकर आना चाहती है, हम ये कभी नहीं होने देंगे।

बुडापेस्ट की सड़कों पर चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की झलक यहां देखी जा सकती है।
बुडापेस्ट की सड़कों पर चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की झलक यहां देखी जा सकती है।

सरकार ने क्या किया
अप्रैल के पहले हफ्ते में हंगरी सरकार ने बुडापेस्ट के बाहरी इलाके में फुदान यूनिवर्सिटी का कैम्पस खोलने को मंजूरी दी। यहां मंजूरी मिली, और वहां काम भी शुरू हो गया। यानी पहले से काफी कुछ पक रहा था। सरकार का कहना है कि फुदान वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी है और इससे एजुकेशन लेवल इम्प्रूव होगा। विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार इसे फिजूल और सियासी पैंतरा बता रही है।

दलाई लामा और उईगर मुस्लिमों का मुद्दा भी उठा
चीन के लिए इन प्रदर्शनों में परेशानी की एक और वजह भी है। प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों ने बैनर्स लिए हुए थे। इनमें दलाई लामा और शिनजियांग प्रांत के उईगर मुस्लिमों के साथ हो रही ज्यादती का जिक्र था। चीन इन दोनों ही मुद्दा पर बचाव की मुद्रा में होता है। बुडापेस्ट के मेयर जर्गेली कार्कोनी ने तो यहां तक कहा कि शहर की दो सड़कों के नाम दलाई लामा और उईगर मुस्लिमों के शहीदों के नाम पर रखे जाएंगे।

चीन का आरोप है कि हंगरी के कुछ नेता लोकप्रियता पाने के लिए इस तरह की हरकतें कर रहे हैं और ये लोग दोनों देशों के रिश्ते खराब करना चाहते हैं। हंगरी सरकार का चीन के प्रति झुकाव इस कदर है कि पिछले हफ्ते जब हॉन्गकॉन्ग के मुद्दे पर यूरोपीय यूनियन चीन के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाना चाहती थी तो हंगरी सरकार ने इसका विरोध किया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here