नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आर्टिकल 370 की बहाली की मांग करना मूर्खतापूर्ण होगा। जम्मू-कश्मीर के 14 वरिष्ठ नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मीटिंग के एक दिन बाद इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उमर ने कहा कि भाजपा को आर्टिकल-370 के अपने राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने में 70 साल लग गए। हमारा संघर्ष तो अभी शुरू हुआ है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष ने कहा कि हम लोगों को यह कहकर मूर्ख नहीं बनाना चाहते कि हम इन मीटिंग्स के जरिए 370 वापस लाएंगे। यह उम्मीद करना मूर्खता होगी कि 370 वापस आ जाएगा। मौजूदा सरकार की ओर से इसे बहाल करने के कोई संकेत नहीं मिले हैं।
मीटिंग के दौरान उमर ने कुछ नहीं कहा
24 जून को PM मोदी के साथ तीन घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में उमर उन पांच लोगों में से एक थे, जिन्होंने मीटिंग के दौरान कुछ भी नहीं बोला। इनके अलावा निर्मल सिंह, तारा चंद, गुलाम-ए-मीर और रविंदर रैना भी मीटिंग में शांत ही रहे थे। उमर ने मीटिंग को एक शुरुआत करार दिया। उन्होंने कहा कि यह पहला कदम है और यह विश्वास के पुनर्निर्माण के लिए एक लंबी सड़क का काम करेगी।
मोदी ने विधानसभा चुनाव पर भी बात की
उन्होंने बताया, ‘मीटिंग में प्रधानमंत्री ने खुद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव, परिसीमन प्रक्रिया में तेजी लाने, जम्मू-कश्मीर में चुनी हुई सरकार और इसे राज्य का दर्जा देने के बारे में बात की।’ उन्होंने कहा कि वह जिला विकास परिषदों के चुनाव के बाद इस बैठक करने के लिए बहुत उत्सुक थे, क्योंकि यह पिछले साल कोरोना की शुरुआत के बाद उनकी सबसे बड़ी शारीरिक बैठक थी।
सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल-370 के लिए लड़ रहे
जब उनसे पूछा गया कि क्या नेशनल कांफ्रेंस ने आर्टिकल-370 की बहाली की अपनी मांग को छोड़ दिया है? अब्दुल्ला ने कहा कि मीटिंग में इसे नहीं रखने का मतलब यह नहीं है कि हमने इसे छोड़ दिया है। हम इस मुद्दे को कानूनी, शांतिपूर्ण और संवैधानिक रूप से आगे ले जाएंगे। हम पूरी प्लानिंग के साथ आगे बढ़ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के जरिए हम इस लड़ाई को जीतने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह में से किसी ने भी बातचीत के लिए कोई शर्त नहीं रखी थी। इसलिए हमें अपनी कोई भी मांग सरेंडर नहीं करनी पड़ी। हमने जो कुछ कहा या मांगा उसके लिए उन्होंने हमें फटकार नहीं लगाई।
आर्टिकल-370 पर और क्या बोले उमर
- 5 अगस्त 2019 के बाद केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के बीच कम्यूनिकेशन पूरी तरह से टूट गया। इससे हमें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला।
- हमारे दो मूल उद्देश्य थे, पहला- भारत सरकार से यह समझना कि उनके मन में क्या था और आगे के रोडमैप का विचार। दूसरा- हम भी अपनी बात रखना चाहते थे।
- NC और PDP ने मोदी और शाह से जो कुछ भी कहा उसमें कोई फर्क नहीं था। हम सबका एक ही विचार था कि सरकार ने जो भी किया वह गलत था और यहां के लोग इससे नाखुश थे।