CDS रावत वायुसेना को बता दिया सेना की सपोर्टिंग विंग, भदौरिया ने दिया ऐसा जवाब

नई दिल्ली। भारत में थिएटर कमांड के गठन को लेकर पिछले दिनों मीडिया रिपोर्ट्स में संकेत मिले कि रक्षा मंत्रालय, थल सेना और भारतीय नौसेना इसके गठन को पूरी तरह से तैयार हैं लेकिन अकेली भारतीय वायुसेना ही ऐसी है जो इस प्रक्रिया के खिलाफ है। इस बीच थिएटर कमांड के पक्षधर सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने भारतीय वायुसेना (आईएएफ) को वायु रक्षा चार्टर के साथ-साथ जमीनी बलों के लिए सहायक शाखा बता दिया है।

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इसपर जवाब देते हुए वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी एकीकृत युद्ध अभियान में वायु शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका होती है।

क्या कहा था सीडीएस रावत ने?

भारतीय वायुसेना की भूमिका के बारे में विस्तार से बताते हुए, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष रावत ने कहा था कि ये जमीनी बलों के लिए सहायक शाखा है और ये विंग थिएटर कमान में से एक देश में हवाई क्षेत्र के समग्र प्रबंधन को देखेगी। गौरतलब है कि थिंक-टैंक ‘ग्लोबल काउंटर-टेररिज्म काउंसिल (जीसीटीसी) द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में जनरल रावत और एयर चीफ मार्शल भदौरिया अलग-अलग एक सत्र को संबोधित कर रहे थे।

‘युद्ध में वायु शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका’

जनरल रावत की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर, एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने कहा, ”यह अकेले सहायक भूमिका नहीं है। किसी भी एकीकृत युद्ध में वायु शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना एकीकृत थिएटर कमान की प्रस्तावित स्थापना के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

योजना के अनुसार, थिएटर कमान में सेना, नौसेना और वायु सेना की इकाइयां होंगी और ये सभी एक ऑपरेशन कमांडर के तहत एक निर्दिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के वास्ते एक इकाई के रूप में काम करेंगी।

वर्तमान में थल सेना, नौसेना और वायुसेना के पास अलग-अलग कमान हैं। पूर्वी लद्दाख की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर भदौरिया ने कहा कि चीनी पक्ष ने इस क्षेत्र में अपने बुनियादी ढांचे को बढ़ाया है। उन्होंने कहा, ”प्रारंभ में सैनिकों के पीछे हटने के बाद, जो हुआ है, आभासी प्रकार की यथास्थिति है। भारतीय वायुसेना क्षेत्र में स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए है।

थिएटर कमांड पर क्यों राजी नहीं वायुसेना?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वायुसेना अपनी सीमित हवाई संपत्ति को अलग-अलग थिएटर कमांडों के बीच बांटने का विरोध कर रही है, क्योंकि पश्चिमी और पूर्वी नौसैनिक बेड़े, समुद्री स्ट्राइक फाइटर जेट्स और भारतीय वायुसेना के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और सेना के दो इन्फैंट्री ब्रिगेड के कंट्रोल के अलावा कोस्ट गार्ड समुद्री थिएटर कमांड के अधीन हो जाएंगे।

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