कश्मीर: ये बन्दूक की नोंक पर खामोशी है, कब्रिस्तान की खामोशी

नई दिल्ली. कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35A को केन्द्र सरकार द्वारा हटाए जाने के बाद मानवाधिकार रक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल कश्मीर के हालातों का जायज़ा लेने गया था. इस प्रतिनिधि मंडल में अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़, कविता कृष्णन, मैमूना मुल्ला, और नेशनल एलायन्स ऑफ पीपुल्स मूवमेण्ट विमल भाई शामिल थे.

Advertisement

NAPM के विमल भाई ने सबरंग से बात करते हुए कश्मीर की आँखोदेखी परिस्थितियां विस्तार से बताई. 9 अगस्त से 13 अगस्त तक ये प्रतिनिधिमंडल कश्मीर के दौरे पर रहा.

उन्होंने बताया कि 9 अगस्त को जब वे श्रीनगर पहुंचे तो कर्फ्यू लगा हुआ था एक अजीब सा वीराना पसरा था हर जगह सेना और अर्धसैनिक बल के जवान ही दिख रहे थे. श्रीनगर की गलियां सूनी थीं और शहर की सभी संस्थायें (दुकानें, स्कूल, पुस्तकालय, पेट्रोल पंप, सरकारी दफ्तर और बैंक) बंद थे. केवल कुछ एटीएम, दवा की दुकानें और पुलिस स्टेशन खुले हुए थे।

श्रीनगर के अंदरूनी इलाकों में जाकर हुए अपने के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि “मीडिया ने श्रीनगर के एक बहुत ही छोटे हिस्से को पूरे कश्मीर की तरह दिखाते हुए कहा कि यहां स्थिति सामान्य है जबकि ये बहुत बड़ा झूठ है. हमने श्रीनगर शहर और कश्मीर के गांवों व छोटे कस्बों में पांच दिन तक सैकड़ों आम लोगों से बातचीत करते हुए बिताये.

हमने महिलाओं, स्कूल और कॉलेज के छात्रों,दुकानदारों, पत्रकारों, छोटा-मोटा बिजनेस चलाने वालों, दिहाड़ी मजदूरों, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और अय राज्यों से आये हुए मजदूरों से बात की. हमने घाटी में रहने वाले कश्मीरी पंडितों, सिखों और कश्मीरी मुसलमानों से भी बातचीत की.

उन्होंने बताया कि भारतीय मीडिया के बारे में चारों तरफ नाराजगी दिखी. लोग अपने घरों में कैद हैं, वे एक दूसरे से बात नहीं कर सकते, वे सोशल मीडिया पर अपने बात नहीं रख सकते और किसी भी तरह अपनी आवाज नहीं उठा सकते. वे अपने घरों में भारतीय टीवी चैनल देख रहे हैं जिनमें दावा किया जा रहा है कि कश्मीर भारत सरकार के फैसले का स्वागत करता है.

वे अपनी आवाज मिटा दिये जाने के खिलाफ गुस्से से खौल रहे हैं. एक नौजवान ने कहा कि ‘किसकी शादी है और कौन नाच रहा है? यदि यह निर्णय हमारे फायदे और विकास के लिए है तो हमसे क्यों नहीं पूछा जा रहा है कि हम इसके बारे में क्या सोचते हैं?

पूरा जम्मू और कश्मीर इस समय सेना के नियंत्रण में एक जेल बना हुआ है. मोदी सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर के बारे में लिए गया फैसला अनैतिक, असंवैधानिक और गैरकानूनी है और मोदी सरकार द्वारा कश्मीरियों को बन्धक बनाने, और किसी भी संभावित विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए जो तरीके अपनाये जा रहे हैं वे भी समग्रता में अनैतिक, असंवैधानिक और गैरकानूनी हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here