भारत को चारों ओर से घेरने में जुटा चीन, नेपाल के बाद अब बांग्लादेश पर जमाई निगाहें

बीजिंग। सीमा पर लगातार अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाले ड्रैगन ने भारत को घेरने के लिए अपनी कोशिश तेज कर दी हैं। भारत के पड़ोसी देशों को साधने में चीन फिलहाल लगा हुआ है। वैसे तो हिन्दुस्तान की ये खासियत रही है कि वो अपने पड़ोस के देशों से बेहतर संबंध तो रखता ही है साथ ही दुनिया के बड़े देशों से भी उसके रिश्ते अच्छे हैं।

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चीन ने बांग्लादेश को अपने हक में करने के लिए एक बहुत बड़ी छूट दी है। वैसे तो बांग्लादेश और चीन में बहुत बड़ी संख्या में व्यापार नहीं होता है, अपितु एक तय मात्रा में ही दोनों देशों के व्यापार होते हैं। सालाना बांग्लादेश और चीन के बीच 15-16 बिलियन डॉलर के आसपास ट्रेड होता है। बांग्लादेश करीब 15 बिलियन डॉलर का सामान चीन से मंगवाता है। इसके विपरीत बांग्लादेश सिर्फ आधा बिलियन डॉलर चीन को अपना सामान बेचता है।

बांग्लादेश को अपने पाले में करने के लिए चीन ने नई चाल चलते हुए छूट का लालच दिया है। कहा गया है कि 5,161 सामान जिनका चीन और बांग्लादेश व्यापार करते हैं उसमें 97 फीसदी तक टैरिफ पर छूट दी जाएगी। फिलहाल एशिया पसेफिक ट्रेड अग्रीमेंट के तहत दोनों देशों के बीच 3,095 सामनों पर ट्रैरिफ फ्री व्यापार होता है। अब बाकी सामान इसी लिस्ट में जुड़ जाएगा।

एक महीने पहले ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कोरोना वायरस महामारी से पैदा हुई आर्थिक कठिनाई को लेकर चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से बात की थी। बांग्लादेश विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ सूचना अधिकारी मोहम्मद तौहिदुल इस्लाम ने कहा कि आर्थिक कूटनीति के रूप में हमने चीन को निर्यात किए जाने वाले वस्तुओं को टैक्स से मुक्त करने के लिए लिखा था।

चीन भारत के पड़ोस में अपना नेटवर्क मजबूत करने के प्रयास में है। श्रीलंका और मालदीव, नेपाल के बाद वो बांग्लादेश को भी अपने पक्ष में करना चाहता है। चीन का पुराना फार्मूला है इन्वेस्टमेंट और व्यापार के लुभावने वादे। श्रीलंका हो या मालदीव पाकिस्तान हो या नेपाल, इन देशों में खूब इनवेस्ट करता है और तरक्की के सपने बेचता है और फिर इसी कर्ज की राह अपने सामरिक हित साधता है। बांग्लादेश को लुभाने के लिए उसने अब टैरिफ छूट का फार्मूला लगाया है।

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