बांदा। लॉकडाउन के दौरान शहरी क्षेत्र के गैर पंजीकृत दिहाड़ी मजदूरों के साथ गरीब कल्याण योजना के नाम पर खेल हो गया। मार्च में यह योजना लागू हुई। अप्रैल में बजट आया। प्रत्येक मजदूर को 1000 रुपये की दर से मार्च की किस्त में 2.41 करोड़ रुपये दे दिए गए। पहली मई को शासन ने अगली किस्त के भुगतान पर रोक लगा दी। दो जून को जारी हुए आदेश में शेष 32 करोड़ रुपये वापस मंगा लिया गया।
लॉकडाउन में प्रभावित शहरी क्षेत्र के दिहाड़ी मजदूरों को केंद्र सरकार ने गरीब कल्याण योजना से तीन माह तक 1000 रुपये मासिक देने की घोषणा की थी। श्रम विभाग के मुताबिक चित्रकूटधाम मंडल में गैर पंजीकृत मजदूरों की संख्या लगभग एक लाख है लेकिन इस योजना में चिह्नित सिर्फ 24,142 मजदूर ही हुए हैं। मंडल के चारों जनपदों में चिह्नित इन मजदूरों के लिए 10 अप्रैल को 10-10 करोड़ रुपये दिए गए।
नगर निकाय स्तर पर दिहाड़ी मजदूरों की सूची बनाई गई। इन सभी के खाते में मार्च की किस्त कुल 2.41 करोड़ रुपये भेज दिए गए। इसके अलावा इसी बजट से 5.50 करोड़ रुपये प्रवासी मजदूरों को राशन आदि में खर्च कर दिए। इसी बीच पहली मई को उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद ने अगली किस्त के भुगतान पर रोक लगा दी। मजदूरों के हक का 32 करोड़ रुपये बंटने से रुक गया।
इसके बाद राजस्व परिषद ने 2 जून को जारी आदेश में यह शेष पैसा वापस मंगा लिया। तीन माह की किस्तों में मात्र एक माह का ही भुगतान हुआ। उधर, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) संतोष बहादुर सिंह ने भी माना कि दिहाड़ी मजदूरों को एक माह की सहायता राशि दी गई है। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद शासन के आदेश पर बची धनराशि वापस भेज दी गई है।