बिहार में विधानसभा चुनाव के मतदान के दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी पारा बढ़ता जा रहा है। साथ ही रोज नए राजनीतिक समीकरण भी बनते जा रहे हैं। राज्य में एनडीए और महागठबंधन के बीच मुख्य लड़ाई है लेकिन इन गठबंधनों से निकली कई पाटियों ने अलग-अलग तीसरे मोर्चे का गठन किया है जिसने बिहार चुनाव को बहुत ही दिलचस्प बना दिया है।
महागठबंधन में सीटों के बंटवारे से नाराज उपेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी यादव से किनारा करते हुए पहले तो एनडीए में शामिल होने की कोशिश की लेकिन नीतीश कुमार की नो एंट्री के बाद उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के साथ मिलकर तीसरे मोर्चे का गठन किया।
उपेंद्र कुशवाहा ने अपने इस गठबंधन को और मजबूत बनाने के लिए साथ ही एनडीए और महागठबंधन को चुनौती देने के लिए AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के साथ हाथ मिलाया है। उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि इस फ्रंट का नाम ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट रखा गया है, जिसमें कुल 6 पार्टियां शामिल हैं।
इसमें असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) और मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ ही समाजवादी दल डेमोक्रेटिक, जनतांत्रिक पार्टी सोशलिस्ट और रालोसपा शामिल है। रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को इस गठबंधन का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया गया है।
उपेंद्र कुशवाहा का दावा है कि इस गठबंधन में कुछ और दल भी शामिल होंगे। इसके लिए उनसके साथ बातचीत हो रही है। गठबंधन में प्रत्याशी तय कर नामांकन की तैयारी की जा रही है। गठबंधन आज अपने प्रत्याशियों की सूची को सार्वजनिक तौर पर जारी कर देगी। इस दौरान उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि इस फ्रंट के संयोजक देवेंद्र यादव होंगे और सभी दल एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, “चुनाव में राज्य की जनता एनडीए और महागठबंधन को हराने का मन बना चुकी है। राजद के 15 वर्षों के शासन को नहीं भूली है। इसी तरह नीतीश सरकार के शासन में शिक्षा की बदहाली, बेरोजगारी और गरीबी से जनता हल्कान रही है। ऐसे में आरएलएसपी, बीएसपी और जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) गठबंधन जनता को विकल्प देगी।”
वहीं, यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हमें खुशी है कि हम बिहार के लोगों को विकल्प दे पाए हैं और हमारे साथ नई पार्टियां आई हैं। नीतीश सरकार के राज में 15 साल बिहार की जनता से धोखा किया गया है, ऐसे में अब नए विकल्प की जरूरत है।
उपेंद्र कुशवाहा की ओर से कहा गया कि प्रदेश में शिक्षा का कोई औचित्य नहीं बचा है, सिर्फ पैसों वाले बच्चों की पढ़ाई हो रही है। रोजगार के लिए लोगों को बाहर जाना पड़ रहा है। गठबंधन के अन्य नेताओं की ओर से वादा किया गया कि सत्ता में आने के बाद उनकी ओर से बाढ़ की मुश्किल को परमानेंट दूर किया जाएगा।