नई दिल्ली। तेल मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों से कहा है कि वे प्रवासी कामगारों को किराये पर देने के लिए 50 हजार घरों को निर्माण कराएं। कोरोना संक्रमण जैसी महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान लाखों कामगारों के गांवों को पलायन के बाद सरकार ने किफायती किराये के आवास की योजना बनाई है। इसी योजना के तहत तेल मंत्रालय ने आवासों का निर्माण कराने को कहा है।
अपनी जमीन पर घरों का निर्माण करें कंपनियां
इस संबंध में आयोजित बैठक में शामिल हुए तीन अधिकारियों के मुताबिक, मंत्रालय ने अपने अधीन सरकारी तेल कंपनियों से अपनी जमीन पर घरों का निर्माण करने को कहा है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल), गेल इंडिया लिमिटेड और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) तेल मंत्रालय के अधीन काम करती हैं। अधिकारियों के मुताबिक, तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सभी कंपनियों से घरों के निर्माण का प्लान लाने को कहा है।
5 अक्टूबर को ट्वीट कर दी थी जानकारी
मंत्रालय ने 5 अक्टूबर को एक ट्वीट कर कहा था कि तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस मंत्रालय और हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की है। इस बैठक में ऑयल एंड गैस प्रोजेक्ट में काम कर रहे प्रवासी और शहरी गरीब कामगारों को किफायती किराये पर मकान देने की योजना पर चर्चा की। अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लैक्स पीएम आवास योजना की सब-स्कीम है।
इसका लक्ष्य शहरी गरीबों और प्रवासी कामगारों को वर्क साइट पर किफायती किराये पर आवास उपलब्ध कराना है। कोविड-19 जैसी महामारी के दौरान रिवर्स माइग्रेशन को रोकने के लिए यह स्कीम लाई गई है।
सरकार ने जुलाई में दी थी योजना को मंजूरी
मार्च में देशव्यापी लॉकडाउन के कारण लाखों प्रवासी कामगार शहरों को छोड़कर अपने गांवों को लौट गए थे। इसके बाद सरकार ने जुलाई में प्रवासी कामगारों को किफायती किराये के आवासों के निर्माण की योजना को मंजूरी दी थी। 2022 तक सभी को घर देने की योजना के तहत इस स्कीम को शामिल किया गया है। स्कीम के तहत खाली पड़े सरकारी घरों को अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लैक्स में शामिल किया जा सकता है। प्राइवेट डेवलपर भी इस स्कीम में हिस्सा ले सकते हैं।