तो क्या टेक्नोलॉजी के आगे झुक गयी पुलिस, जानिए पूरा मामला

लखनऊ। देश जिस रफ़्तार से टेक्नोलॉजी का हाथ पकड़ चल रहा है उस रफ़्तार से फर्जीवाड़ा भी बढ़ रहा है। फर्जी आईएमईआई पर सैकड़ों मोबाइल चलने का मामला आयेदिन सुनने को मिलता है। कोई सख्त कार्यवाही न होने की वजह से इसमें काम करने वाला सिंडिकेट आसानी से बच जाता है।

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हाल ही में इंदौर पुलिस ने एक ऐसे गिरोह को दबोचा था जो नामी मोबाइल कंपनी की इंटरनेशनल मोबाइल इक्यूपमेंट आईडेंटिटी (आईएमईआई) बदल कर बाजारों में बेच देता है। जिन मोबाइल की आईएमईआई बदली जाती थी वो चोरी और ट्रक कटिंग के हैं। उसमें सैकड़ों मोबाइल ऐसे भी मिले थे जिनकी एक ही आईएमईआई थे।

कुछ महीने पहले मेरठ पुलिस ने एक ऐसा ही मामला दर्ज किया था जिसमे कहा गया था कि मोबाइल में जो आईएमईआई है, ठीक उसी आईएमईआई के देशभर में 13 हजार 357 मोबाइल हैं। इस मामले में जब मेरठ पुलिस ने चीन की वीवो कंपनी को क्लीन चिट दे दी है। जिस पर तमाम सवाल उठना लाजिमी है।

पुलिस ने जांच में कंपनी या इसके सर्विस सेंटर की कोई कमी नहीं मानी है। मुकदमे के वक्त राष्ट्र की सुरक्षा से जोड़कर देखे गए इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाने से पुलिस कार्रवाई पर सवाल खड़े हो गए हैं।

बता दे कि एक जून 2020 को मेरठ जोन एडीजी कार्यालय में तैनात सब इंस्पेक्टर आशाराम ने वीवो कंपनी के सर्विस सेंटर व उसके कर्मचारी के विरुद्ध मेडिकल थाने में एक मुकदमा दर्ज कराया था। आशाराम के अनुसार उन्होंने वीवो कंपनी का मोबाइल सर्विस सेंटर पर ठीक होने के लिए दिया।

बाद में पता चला कि सर्विस सेंटर में उनका आईएमईआई नंबर बदल दिया गया है। जोनल कार्यालय की साइबर क्राइम सेल ने इस केस की जांच की। पाया कि आशाराम के मोबाइल में जो आईएमईआई है, ठीक उसी आईएमईआई के देशभर में 13 हजार 357 मोबाइल हैं।

मुकदमे की जांच नौचंदी थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर आशुतोष कुमार ने की। 5 अक्तूबर 2020 को इस मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगाते हुए फाइल कोर्ट को भेज दी गई है। एफआर लगाने की पुष्टि स्वयं इंस्पेक्टर आशुतोष कुमार ने की है, जो फिलहाल सिटी कोतवाली के प्रभारी हैं। फाइनल रिपोर्ट के अनुसार उस आईएमईआई सर्विस सेंटर पर मोबाइल ठीक करते वक्त बाई डिफॉल्ट बदल रही थी। कंपनी की कोई कमी नहीं पाई गई है।

मेरठ जोन के एडीजी राजीव सभरवाल ने भी माना था कि ये मामला देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा हो सकता है क्योंकि अपराधी यदि इसी आईएमईआई के नंबर से कोई घटना करेगा तो वह आसानी से ट्रेस नहीं हो पाएगा। एडीजी के आदेश पर यह मुकदमा दर्ज हुआ था।

मेरठ पुलिस ने मुकदमा दर्ज होने के बाद पेन इंडिया सर्किल को पत्र भेजकर कहा कि ऐसे मोबाइलों को नेटवर्क न दिए जाएं। ट्राई को भी पत्र लिखा गया। वीवो कंपनी से भी कई बार जवाब लिया गया। लिखापढ़ी की कार्रवाई हुई, लेकिन ऐन वक्त पर फाइनल रिपोर्ट लगाकर मुकदमा खारिज कर दिया गया। एफआर लगाने के 10 दिन बाद ही इंस्पेक्टर आशुतोष कुमार का तबादला नौचंदी से थाना कोतवाली हो गया।

क्या होता है IMEI नंबर

इंटरनेशनल मोबाइल इक्यूपमेंट आईडेन्टी को IMEI नंबर कहा जाता है। यह 15 डिजिट का एक खास नंबर होता है, जो हर मोबाइल फोन के लिए अलग-अलग होता है। IMEI नंबर के जरिए फोन के मॉडल और मैन्युफैक्चरर के बारे में पता चलता है। इस नंबर के जरिए ही साइबर सेल जरूरत पड़ने पर फोन और कॉल्स को ट्रैक कर पाती हैं।

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