लखनऊ में तैनात एडिशनल कमिश्नर के खिलाफ FIR के लिए CBDT से मांगी गई मंजूरी

लखनऊ। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT-सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स) को पत्र लिखकर आयकर विभाग लखनऊ में तैनात एक एडिशनल कमिश्नर के खिलाफ अभियोजन के लिए स्वीकृति मांगी है। CBI ने दो साल पहले आयकर विभाग के इंस्पेक्टर धर्मशील अग्रवाल को 10 लाख की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था।

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इसके बाद जांच के दायरे में आए एडिशनल कमिश्नर के खिलाफ CBI ने पुख्ता सबूत एकत्र किए हैं। यदि FIR की मंजूरी मिलती है तो भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा हो सकता है।

पद इंस्पेक्टर का था, मगर ठाठ राजाओं जैसे मिले थे
CBI ने इंस्पेक्टर धर्मशील अग्रवाल को 4 अक्टूबर 2018 को एक शिकायत के बाद ट्रैप किया था। जांच में उसके पास राजधानी के पॉश इलाके इजरतगंज के कसमंडा हाउस में तीन आलीशान फ्लैट को देखकर CBI के अफसर भी हैरान हो गए थे।

इन तीनों फ्लैटों में आलीशान इंटीरियर के अलावा करोड़ों रुपए के फर्नीचर समेत तमाम बेशकीमती सामान भी मिला था। इससे अधिकारियों को शक हुआ कि आखिर एक इंस्पेक्टर द्वारा इतनी अकूत संपत्ति कैसे जुटाई गई?

लिहाजा इस मामले की गहनता से जांच कराने का निर्णय लिया गया और नतीजतन इंस्पेक्टर की आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साठ-गांठ के प्रमाण मिलते चले गए।

इंस्पेक्टर धर्मशील अग्रवाल।
इंस्पेक्टर धर्मशील अग्रवाल।

व्यापारियों से अवैध वसूली का सामने आएगा राज

CBI की जांच में खासतौर पर धर्मशील अग्रवाल और एडिशनल कमिश्नर के संपर्क में रहने वाले कई चार्टर्ड अकाउंटेंट से उनकी साठ-गांठ का खुलासा हो सकता है। सीबीआई को अंदेशा है कि इस मामले में एडिशनल कमिश्नर के खिलाफ जांच शुरू होने से व्यापारियों को ब्लैकमेल कर लाखों रुपए की वसूली करने के तमाम अहम राज सामने आ सकते हैं।

यही वजह है कि दो साल से इस मामले की गहनता से जांच के बाद अब उसकी संपत्तियों के बारे में भी सुबूत जुटाए जा रहे हैं, ताकि उनको कोर्ट में पेश करके मजबूत केस तैयार किया जा सके।

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