नई दिल्ली। टाटा सन्स और सायरस मिस्त्री के बीच कंपनियों के अधिकार को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हो रही है। टाटा के वकील हरीश साल्वे की दलील है कि कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के आदेश से कम शेयर वाले को कंपनियों का कंट्रोल मिल गया।
यह मामला पिछले साल 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटाने को गलत बताया था। NCLAT ने मिस्त्री को दोबारा चेयरमैन बनाने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ टाटा सन्स सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।
2012 में मिस्त्री टाटा सन्स के चेयरमैन बने थे
दिसंबर 2012 में रतन टाटा ने टाटा चेयरमैन पद से रिटायरमेंट ले लिया था। इसके बाद सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स का चेयरमैन बनाया गया। मिस्त्री टाटा सन्स के सबसे युवा चेयरमैन थे। मिस्त्री परिवार की टाटा सन्स में 18.4% की हिस्सेदारी है। वे टाटा ट्र्स्ट के बाद टाटा सन्स में दूसरे बड़े शेयर होल्डर्स हैं। टाटा सन्स में टाटा ट्रस्ट की हिस्सेदारी 66% है। टाटा सन्स से मिस्त्री परिवार 1936 से ही जुड़ा हुआ है।
4 साल बाद मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया गया
24 अक्टूबर 2016 को टाटा ग्रुप ने सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटा दिया था। उनकी जगह रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन बनाया गया था। टाटा सन्स का कहना था, मिस्त्री के कामकाज का तरीका टाटा ग्रुप के काम करने के तरीके से मेल नहीं खा रहा था।
इसी वजह से बोर्ड के सदस्यों का मिस्त्री पर से भरोसा उठ गया था। मिस्त्री को हटाने के बाद 12 जनवरी 2017 को एन चंद्रशेखरन टाटा सन्स के चेयरमैन बनाए गए। टाटा के 150 साल से भी ज्यादा के इतिहास में सायरस मिस्त्री छठे ग्रुप चेयरमैन थे।
4 साल से ट्रिब्यूनल और कोर्ट में चल रहा है मामला
चेयरमैन पद से हटाए जाने के फैसले के खिलाफ मिस्त्री ने दिसंबर 2016 में कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में याचिका दायर की। जुलाई 2018 में NCLT ने मिस्त्री की याचिका खारिज कर दी और टाटा सन्स के फैसले को सही बताया। इसके खिलाफ मिस्त्री कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) गए। दिसंबर 2019 में NCLAT ने मिस्त्री को दोबारा टाटा सन्स का चेयरमैन बनाने का आदेश दिया। इसके खिलाफ टाटा सन्स ने जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की।