जो बाइडेन के साथ भारत-अमेरिकी रिश्तों में नई करवट

कुमार भवेश चंद्र

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अब केवल कुछ घंटे बचे हैं जब अमेरिका में नई सरकार बनने जा रही है। भारतीय समय के हिसाब से रात 10 बजकर 30 मिनट पर जो बाइडेन नए राष्ट्रपति की शपथ लेंगे। सत्ता हस्तांतरण की औपचारिकताएं शुरू हो चुकी हैं। एक भारतीय के तौर पर हमारी आपकी नजरें इस बात पर अधिक हैं कि नए अमेरिका से हमारे देश के ताल्लुकात कैसे रहने वाले हैं? डोनल्ड ट्रंप के साथ आत्मीय रिश्ते रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जो बाइडेन के बीच किस तरह का समीकरण बनने वाला है?

भारत-अमेरिकी रिश्तों के भविष्य को यह सोच इसलिए भी उभरती दिख रही है, क्योंकि अमेरिकी चुनावों के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल ट्रंप की जीत को लेकर विश्वास प्रकट किया था बल्कि वैचारिक तौर पर उनके प्रति समर्थन जताते रहे हैं। लेकिन जो बाइडेन के साथ अमेरिका एक दूसरी विचारधारा की ओर बढ़ चुका है।

डोनल्ड ट्रंप के शासन काल की अंतरुनी और बाहरी कड़वाहट को भुलाकर अमेरिका की डेमोक्रेट सरकार नए सिरे से दुनिया में अपने नेतृत्व की हनक कायम करने की ओर आगे बढ़ने की कोशिश करेगी।

बहरहाल भारतीयों के लिए यह एक अच्छी बात है कि जो बाइडेन ने अपने साथ बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोगों को प्रशासन में मौका दिया है। और शायद अमेरिकी इतिहास में भारतीय मूल के लोग अधिक संख्या में प्रभावी भूमिकाओं में होंगे। अमेरिकी उप राष्ट्रपति के तौर पर कमला हैरिस की भूमिका भी प्रमुख रहने वाली है।

दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते उसकी नीतियों का पूरी दुनिया पर असर स्वाभाविक है। कोरोना के बाद की आर्थिक और अन्य तकलीफों से बाहर आने के लिए भारत और दुनिया के सभी मुल्कों को एक ऐसे माहौल की जरूरत है जिसमें एक सकारात्मकता हो। जाहिर है भारत-अमेरिकी आर्थिक रिश्ते सामान्य रहेंगे तो हमें इन हालातों से उबरने में मदद मिलेगी।

चीन से बढ़ती खटास की वजह से भी अमेरिकी रिश्तों की ओर देखना स्वाभाविक ही है। अमेरिका के साथ भारतीय रिश्तों का आकलन इस बात से भी होता है कि वह हमारे एक और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के प्रति क्या रवैया रखता है। चीन के साथ तो उसके रिश्ते स्वाभाविक रूप से सामान्य नहीं ही रहने वाले हैं। जाहिर तौर पर भारत के लिए यह एक अच्छी स्थिति होगी। लेकिन पाकिस्तान को लेकर जो बाइडेन सरकार का रुख अभी तक साफ नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की नई सरकार से नए रिश्तों की पहल बहुत पहले ही शुरू कर दी थी। अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस को बधाई देते हुए उन्होंने भारत-अमेरिकी रिश्तों और मजबूत होने का विश्वास व्यक्त किया था। यह तो सर्वविदित है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी भारत के प्रति सकारात्मक नजरिया रखते हैं। वह अमेरिका-भारत के रिश्तों को मजबूत करने के पक्षधर हैं।

लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जो बाइडेन और कमला हैरिस ने मुसलिम समाज के प्रति मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर चिंता व्यक्त की थी। इसी सिलसिले में भारत में सीएए और एनआरसी कानूनों को लेकर उनका विरोध भी सामने आया था। जाहिर है ये ऐसे बिंदु हैं जहां भारत-अमेरिकी रिश्तों को लेकर एक पेंच दिख रहा है।

देखना होगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में आज शपथ लेने के बाद जो बाइडेन और भारतीय प्रधानमंत्री के बीच किस तरह के संवाद की शुरुआत होती है। सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले प्रधानमंत्री मोदी किस तरह से संवाद की शुरुआत करते हैं। इसपर सबकी नजर होगी।

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