नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आज बजट पेश कर दिया है। कोरोना काल से पहले ही सुस्ती पड़ी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए इस बजट को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा था।
उधर इस बजट को लेकर राहुल गांधी की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि सरकार लोगों के हाथों में पैसे देने के बारे में भूल गई। मोदी सरकार की योजना भारत की संपत्तियों को अपने पूंजीपति मित्रों को सौंपने की है।
इससे पूर्व उन्होंने कहा था कि बजट पेश किए जाने से पहले कहा था कि बजट में छोटे एवं मझोले कारोबारियों की मदद करने के साथ स्वास्थ्य और रक्षा खर्च में बढ़ोतरी किए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा था, कि बजट -2021 में एमएसएमई, किसानों और कामगारों की मदद की जानी चाहिए ताकि रोजगार का सृजन हो सके । कांग्रेस नेता ने कहा, लोगों के जीवन बचाने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च बढ़ाया जाए । सीमाओं की सुरक्षा के लिए रक्षा खर्च में बढ़ोतरी हो।
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना का ऐलान किया है। इस पर 64 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम खर्च करेगी।
वित्त मंत्री इस बजट को टैबलेट के जरिए पेश कर रही हैं। इसके तहत सरकार ने डिजिटल इंडिया का संदेश देने का फैसला लिया है।
यह देश का पहला पेपरलेस बजट है। वित्त मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए जीडीपी के 13 फीसदी हिस्से के बराबर रकम आवंटित की गई है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह मिनी बजट की तरह है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2021 के जरिए किसानों से लेकर मिडिल क्लास तक को साधने का प्रयास किया है।
हालांकि मिडिल क्लास के हाथ एक बार फिर से मायूसी ही लगी है। इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
करीब पौने दो घंटे के भाषण में वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि 75 साल से अधिक आयु वाले बुजुर्गों को आईटीआर फाइल करने की जरूरत नहीं होगी।
यह रियायत उन लोगों के लिए है, जिनकी कमाई का स्रोत पेंशन के अलावा कुछ और नहीं है।