इस साल कश्मीर में सर्दियों ने तीन दशक पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। भारी बर्फबारी के चलते स्थानीय लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। साथ ही पक्षियों और जंगली जानवरों को भी अपनी जिंदगी बचाने के लिए जूझना पड़ा। होकरसर की फेमस वेटलैंड में हर साल कई देशों से लाखों पक्षी आते हैं। इस साल यहां तापमान माइनस 10 डिग्री तक चला गया। पानी बर्फ में तब्दील हो गया। इससे पक्षियों के लिए भोजन की कमी तो हुई ही, साथ ही प्रजनन की क्षमता भी न के बराबर रह गई।
वेटलैंड में लगभग 2 लाख प्रवासी पक्षी हैं

वन विभाग ने इस समस्या से निपटने के लिए इस साल एक अहम कदम उठाया। खाने की कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने पक्षियों के लिए इस साल विशेष व्यवस्था की। हर दूसरे दिन विभाग के अधिकारी वेटलैंड में धान लाते हैं और उसे पक्षियों के खाने के लिए चारों तरफ फैला देते हैं। साथ ही बर्फ की सतह को तोड़ देते हैं ताकि पक्षी पानी में उतरकर खाना खा सकें। वेटलैंड में काम करने वाले एक अधिकारी ने बताया कि हम सुबह-सुबह बाहर जाकर लाखों पक्षियों को खाना खिलाते हैं। वे हमारे मेहमान हैं और हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करते हैं कि वे खाली पेट न रहें।
होकरसर वेटलैंड के रेंज अफसर काजी सुहेल ने बताया, ‘इस साल कड़ाके की सर्दी के कारण प्रवासी पक्षियों के होकरसर में रहने की जगह और प्रजनन क्षेत्र प्रभावित हुआ। ज्यादा ठंड के कारण पक्षी एक या दो वेटलैंड्स पर केंद्रित होने के बजाय कश्मीर में चारों ओर फैल गए। होकरसर में जब पानी जम गया तो परिंदों को बहुत दिक्कत आई।’ कश्मीर में नौ मुख्य वेटलैंड्स हैंं, जो सर्दियों में प्रवासी पक्षियों की मेजबानी करते हैं।

अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक, होकरसर और डल झील में इस समय लगभग 2 लाख पक्षी हैं। जबकि हयगम वेटलैंड में 8 लाख और पंपोर में लगभग 50000 पक्षी हैं। ठंड के कारण पक्षियों को अपने चारे की व्यवस्था में भी परेशानी हो रही थी। इसलिए वन विभाग ने वेटलैंड्स के कर्मचारियों को सर्दियों के दौरान धान खरीदने का निर्देश दिया था। इसका मकसद था कि ठंड में प्रवासी पक्षियों को खिलाया जाए। काजी सुहैल कहते हैं, ‘पक्षियों को खिलाने में काफी दिक्कतें आईं, लेकिन हमने कोशिश की और सफल भी हुए।
होकरसर को कश्मीर में वेटलैंड्स की रानी कहा जाता है। यह श्रीनगर से महज 10 किमी दूरी पर है। सर्दियों के मौसम में दुनियाभर से यहां पक्षी आते हैं। अभी वेटलैंड में लगभग 2 लाख प्रवासी पक्षी हैं। इनमें कुछ दुर्लभ प्रजातियां भी शामिल हैं।
81 फीसदी प्रवासी पक्षी यहां आते हैं

अधिकारियों का कहना है कि अब धीरे-धीरे तापमान बढ़ने से पक्षियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। आने वाले महीनों में यह संख्या और बढ़ेगी। 2015 में होकरसर में बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की मदद से इंडियन वर्ड कंसर्वेशन नेटवर्क ने एक सर्वे किया था। इसमें पता चला कि दुनियाभर से 33 प्रजातियों वाले 5 लाख से ज्यादा पक्षी यहां आते हैं, जो प्रवासी पक्षियों का 81 फीसदी है।
ये पक्षी सितंबर-अक्टूबर में यहां पहुंचने लगते हैं और मई तक निकल जाते हैं। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि आने वाले सालों में इस वेटलैंड में तुर्की, रूस, जापान, चीन, यूरोप और कजाकिस्तान सहित कई देशों के लगभग 10 लाख पक्षी आएंगे, लेकिन कई वर्षों से वेटलैंड में पक्षियों की आबादी कम हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह जलवायु परिवर्तन और वेटलैंड की खराब स्थिति के कारण है।

कई प्रजातियां खत्म होने की कगार पर
होकरसर के साथ ही विभाग ने इस साल जंगली जानवरों की रक्षा के लिए भी कारगर कदम उठाए हैं। Dachigam National Park में अधिकारियों ने हांगुल नामक लुप्त प्राय कश्मीरी हिरण के लिए विशेष व्यवस्था की है। स्टाफ के सदस्यों ने एहतियात के तौर पर पूरे जंगल में हांगुल के लिए ताजी सब्जियां और नमक की चट्टानें रखी हैं।
हांगुल हिमाचल प्रदेश में, कश्मीर घाटी और चंबा जिले में पाए जाते हैं। यह जम्मू और कश्मीर का राज्य पशु है। पिछले कई दशकों में हांगुल की आबादी में भारी गिरावट आई है। एक अनुमान के मुताबिक 3000 से घटकर इनकी संख्या अब 200 के आसपास बची है। इस साल भारी बर्फबारी के कारण कश्मीर के शहरी इलाकों में तेंदुए देखे गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक भोजन की कमी के कारण इन जानवरों को अपने प्राकृतिक आवास छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।