वॉशिंगटन। अमीर देशों में लॉकडाउन में ढील के बीच एक आर्थिक पहेली सामने आई है। कारोबार जगत कामगारों की कमी पर चिंता जता रहा है। लाखों लोग बेरोजगार हैं। अमेरिका में पैसे के खर्च में आए उफान से नौकरियों के अवसर बढ़े हैं। लेकिन, बहुत कम लोग इस समय नौकरी करना चाहते हैं। जबकि अमेरिका में 80 लाख से अधिक जॉब खाली हैं। अन्य देशों में भी कामगारों की कमी है। कई कंपनियां स्टाफ की भर्ती के लिए आकर्षक सुविधाएं दे रही हैं। वेतन बढ़ा दिए गए हैं।
अमेरिका में व्यवसायी मानते हैं कि सरकार द्वारा 300 डॉलर (21,846 रुपए) हफ्ता बेरोजगारी भत्ता देने के कारण कामगारों की कमी हुई है। हालांकि, कई विशेषज्ञ नहीं मानते कि सरकारी मदद की वजह से लोग काम से कतरा रहे हैं। दूसरी जगह स्थिति अलग लगती है। स्वाभाविक है कि ब्रिटेन में बर्तन धोने वाले कामगार 100% वेतन के लिए हर दिन 12 घंटे गर्म किचन में खड़े रहने की बजाय 80% वेतन सरकारी भत्ते से लेना पसंद करेंगे। हालांकि, आस्ट्रेलिया ने मार्च में भत्ता देना बंद कर दिया है पर वहां भी कमी बनी हुई है।
अनुमान है कि अमीर देशों में महामारी से पहले के मुकाबले आज तीन करोड़ कम लोग काम कर रहे हैं। ब्रिटेन में 17 मई से बार और पब खुल गए हैं। उन्हें शराब परोसने वाले कर्मचारियों की तलाश है। ऑस्ट्रेलिया में पहले के मुकाबले अब 40% जगह खाली हैं। स्विटजरलैंड से जर्मनी तक खाली नौकरियों की संख्या पहले से अधिक है।