प्रयागराज। दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात में शामिल होकर लौटे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद की कुंडली खंगाल रही पुलिस जल्द से जल्द उनके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में है। वहीं, इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन भी प्रोफेसर शाहिद पर कार्रवाई करने की फाइल तैयार कर रहा है। फिलवक्त 7 सात इंडोनेशियाई और 9 थाईलैंड के नागरिकों समेत 29 लोगों के साथ केंद्रीय कारागार नैनी के महिला बैरक में रखे गए प्रोफेसर शाहिद पर महामारी एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज है। मुख्यमंत्री के आदेश पर प्रयागराज पुलिस प्रशासन सभी तब्लीगी जमातियों को सेंट्रल जेल नैनी से हटाकर यमुनापार के घूरपुर इलाके में स्थित ग्रीन फील्ड स्कूल में बनाई गई अस्थाई जेल में रखे जाने की तैयारी में जुटे हुए हैं।
खुफिया एजेंसियां खंगाल रहीं प्रोफेसर की कुंडली
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में वर्ष 1988 में तत्कालीन कुलपति वहीदउद्दीन मलिक के कार्यकाल में प्रोफेसर शाहिद की नियुक्ति से लेकर अब तक की कुंडली खुफिया एजेंसियों ने खंगाल ली है। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि से लेकर करीबियों की भी फाइल तैयार हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक परिवार के पांच सदस्यों तथा चार छात्रों समेत मो. शाहिद के 28 करीबियों को रडार पर रखकर उनके संपर्कों को भी खंगाला जा रहा है। प्रोफेसर चार मोबाइल प्रयोग करते थे। सभी कनेक्शन उनके नाम है। पुलिस उनके सभी नम्बरों की भी कॉल हिस्ट्री निकाल कर खंगाल रही है।
अंतिम बार दिसंबर महीने में विदेश गए थे प्रोफेसर
खुफिया एजेंसियों ने यह ब्यौरा भी जुटा लिया है कि प्रोफेसर शाहिद इथोपिया, सोमालिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, उज्बेकिस्तान, टर्की समेत कई देशों की यात्रा कर चुके हैं। वहां मुस्लिम संगठनों के कार्यक्रमों में हिस्सा ले चुके हैं। उन संगठनों के बारे में छानबीन के लिए भारतीय दूतावासों समेत अन्य एजेंसियों की भी मदद ली जा रही है। खासतौर पर इथोपिया की राजधानी अदीस अबाबा स्थित मुस्लिम संगठनों को खास टारगेट पर रखा गया है। दरअसल, प्रो. शाहिद अदीस अबाबा में मुस्लिम संगठनों के दो जलसे में एक-एक हफ्ते के लिए जा चुके हैं। अंतिम बार वह दिसंबर 2019 में आठ दिन के लिए अदीस अबाबा गए थे।
पॉलिटिकल कनेक्शन पर भी है पुलिस की नजर
इस्लामिक पॉलिटिकल थॉट, इस्लामिक डायसपोरा इन द वर्ल्ड के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले प्रोफेसर के निजामुद्दीन शहर के उच्च मुस्लिम वर्ग में विशेष पहचान है। कई सफेदपोश से भी उनके नजदीकी रिश्ते हैं। पुलिस उनका पॉलिटिकल कनेक्शन भी तलाश रही है।
मुस्लिम यूनिवर्सिटीज की तरफ था ज्यादा झुकाव
प्रोफेसर शाहिद का मुस्लिम विश्वविद्यालयों, शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की तरफ झुकाव अधिक था। मूलरूप से मऊ जनपद के दक्षिण टोला कोतवाली स्थित बुलाकी का पूरा निवासी प्रोफेसर वर्ष 1988 में इविवि के राजनीति विज्ञान विभाग में लेक्चरर नियुक्त हुए। 2003 में जेएनयू से पीएचडी की उपाधि हासिल करने के बाद 2004 में वह रीडर के पद पर पदोन्नत हुए। 2015 में प्रोफेसर नियुक्त किए गए। एएमयू, जेएनयू और जम्मू विवि में इनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। वहां के शिक्षकों को अक्सर वह बुलाते भी थे। प्रो. शाहिद के बड़े भाई प्रो. एसए अंसारी इविवि में वाणिज्य विभाग में और भांजा डॉ. कासिफ उर्दू विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
आईजी ने कहा- कई अहम तथ्य सामने आए, चल रही जांच
आइजी रेंज प्रयागराज केपी सिंह ने बताया कि प्रोफेसर को जेल भेजने के बाद उनकी स्थानीय गतिविधियों को लेकर पुलिस तथा सर्विलांस टीमें जांच कर रही हैं। उनके विदेश कनेक्शन की जांच खुफिया एजेंसियां कर रही हैं। कई अहम तथ्य सामने आए हैं। पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है।