अखिलेश ने खुद संभाली चुनाव की कमान, बसपा के पंचायत सदस्यों पर निगाहें

लखनऊ। जिला पंचायत चुनाव अध्यक्ष चुनाव को अपने पक्ष में लाने के लिए समाजवादी पार्टी अब एड़ी चोटी जोर लगा रही है। करीब 40 सीटों से अधिक सीटों पर भाजपा-सपा के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है। अपने कई प्रत्याशियों के दूसरे पाले में चले जाने के बावजूद सपा इस जंग में पीछे नहीं रहना चाहती है। अब बाकी जगह वह मजबूती से टक्कर देने में जुटी है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अब चुनाव की कमान खुद संभाल ली है।

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वह चुनाव वाले जिलों के प्रत्याशियों व पदाधिकारियों से फीडबैक ले रहे हैं। पार्टी के जीते पंचायत सदस्यों को समझा कर एकजुट रहने का संदेश दिया जा रहा  है। साथ ही किसी प्रभाव में आने देने के लिए भी प्रेरित किया  जा रहा है। पार्टी मुख्यालय में भी इस मुद्दे पर जिलों के लोगों को बुलाकर समस्याओं का समाधान करा रहे हैं। विपक्ष में रहते हुए सबसे ज्यादा जिला पंचायत सदस्य जीतने को सपा अपनी बड़ी उपलब्धि मान रही है।

ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष भी उसी अनुपात में जिताने की कोशिश है। अब तक 20 से ज्यादा जिलों में भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुने जा चुके हैं। इसके बावजूद सपा आत्मविश्वास में है कि वह चुनाव वाले जिलों की जंग में किसी तरह जीत के वोट हासिल कर लेगी। अधिकांश जिलों में तो भाजपा व सपा समर्थित प्रत्याशियों के बीच सीधी जंग होनी है।

बसपा सदस्यों पर निगाह
चूंकि बसपा ने अब खुल कर चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है। साथ ही सपा को हराने के लिए भी अपने लोगों को कहा है। बसपा को सपा से अपना पुराना हिसाब भी चुकाना है। सपा पिछले काफी समय से बसपा के कई नेताओं को तोड़कर अपने पाले में ला चुकी है। बसपा के कई विधायक भी सपा के संपर्क में है।

इसके बावजूद  सपा इनके जिला पंचायत सदस्यों को अपने पाले में लाने की खासी कोशिश कर रही है। इसके लिए जिले के प्रभावी नेता इन वोटरों से संपर्क किया जा रहा है। हालांकि भाजपा का बसपा के इन वोटरों पर ज्यादा प्रभाव दिख रहा है। मथुरा में तो सबसे ज्यादा 13 सदस्य बसपा के ही जीते हैं। इन पर भाजपा के साथ-साथ सपा की भी निगाह है।

जिलाध्यक्षों पर कार्रवाई हो सकती है वापस 
पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, सपा अपने 11 नेताओं को जिला अध्यक्ष पद पर बहाल कर  सकती है जिन्हें नामांकन के दिन पार्टी ने पद  से बर्खास्त कर दिया था। असल में जिलाध्यक्षों ने अपने सफाई में कहा है कि उनके जिलों में पर्चा खारिज होने में उनकी गलती नहीं है। पार्टी के प्रत्याशियों ने खुद ही ऐन मौके पर पाला बदल लिया।

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