UP: जनसंख्या नियंत्रण के लिए 8500 लोगों ने दिए सुझाव, फाइनल ड्राफ्ट जल्द

लखनऊ. उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग (State Law Commission) अगले महीने जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Law) के मसौदे को राज्य सरकार को सौंपने की तैयारी में है. लोगों से रायशुमारी की तिथि 19 जुलाई निर्धारित थी, जिसमें अब तक राज्य विधि आयोग को 8500 सुझाव मिले है. यह सुझाव सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर से आए हैं.

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अब इन सुझावों पर मंथन के बाद मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा. आयोग के अध्यक्ष आदित्य मित्तल के मुताबिक ज्यादातर सुझाव आयोग को statelawcommission2018@gmail.com पर मिले है. एक शख्स ने तो 28 पेज का सुझाव भेजा है, जबकि मसौदा ही 18 पेज का है. आदित्य मित्तल के मुताबिक भविष्य में यह मसौदा उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) एक्ट 2021 के नाम से जाना जाएगा.

इस ड्राफ्ट के मुताबिक, 2 से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने तक पर रोक लगाने का प्रस्ताव है. इस पर राज्य विधि आयोग ने 19 जुलाई तक जनता से राय मांगी थी. यह ड्राफ्ट ऐसे समय में पेश किया गया जब 11 जुलाई को योगी सरकार नई जनसंख्या नीति को लांच किया था. दो से अधिक बच्चे पैदा करने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन और प्रमोशन का मौका नहीं मिलेगा.

77 सरकारी योजनाओं व अनुदान से भी वंचित रखने का प्रावधान है. अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं और नसबंदी करवाते हैं तो उन्हें अतिरिक्त इंक्रीमेंट, प्रमोशन, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट, पीएफ में एम्प्लॉयर कंट्रीब्यूशन ज्यादा मिलेगा. अगर सरकारी नौकरी में नहीं हैं तो उन्हें पानी, बिजली, हाउस टैक्स, होम लोन में छूट व अन्य सुविधाएं देने का प्रस्ताव है.

वहीं एक संतान पर खुद से नसबंदी कराने वाले अभिभावकों को संतान के 20 साल तक मुफ्त इलाज, शिक्षा, बीमा शिक्षण संस्था व सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने की सिफारिश है.

ये है सरकार का लक्ष्य
इसमें साल 2026 और 2030 तक के लिए दो चरणों में अलग-अलग मानकों पर केंद्रित लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं. करीब 25 करोड़ की आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में योगी सरकार नई जनसंख्या नीति पर काम कर रही है. सरकार ने दूसरे राज्यों की जनसंख्या नीति का अध्ययन करने के बाद 11 जुलाई को नई जनसंख्या नीति घोषित की.

बताया जा रहा है कि साल 2021-30 की अवधि के लिए प्रस्तावित नीति के माध्यम से परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाया जाना और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने की कोशिश होगी. यह नीति अमल में आने के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से नवजात मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर को कम करने का प्रयास होगा. साथ ही नपुंसकता-बांझपन की समस्या के समाधान उपलब्ध कराते हुए जनसंख्या रोकने के प्रयास भी किए जाएंगे.

नई पॉलिसी में इन पर होगा फोकस
नई नीति में 11 से 19 साल के किशोरों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन करने पर जोर होगा. बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था करना भी अहम मुद्दा है. डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत नवजातों, किशोरों और वृद्धजनों की डिजिटल ट्रैकिंग की व्यवस्था की जाएगी.

इससे पहले अपर मुख्य सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि जनसंख्या नीति प्रदेश में एनएफएचएस-04 (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे) सहित अनेक रिपोर्ट के अध्ययन के बाद तैयार की जा रही है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-05 की रिपोर्ट जल्द ही जारी होने वाली है.

नई नीति जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों को तेज करने वाली होगी. इसमें 2026 और 2030 तक के लिए दो चरणों में अलग-अलग मानकों पर केंद्रित लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं.

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