यूपी में दो और पुलिस कमिश्नरेट बनाने की तैयारी, सीएम योगी ने दिए निर्देश…

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार पुलिस विभाग में कमिश्नरेट प्रणाली को और शहरों में भी लागू करने जा रही है। 13 जनवरी 2020 को लखनऊ और नोएडा में लागू होने के बाद कानपुर, बनारस में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की गई। मौजूदा समय में चार शहरों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम यूपी में हैं।

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सीएम योगी ने गृह विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में चार अन्य जिलों में नई व्यवस्था लागू करने की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं जिसमें से 2 शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को बढ़ाया जाएगा। वहीं जेल व्यवस्था के सिस्टम में बदलाव करते हुए डीजी जेल कैडर अलग बनाया जा रहा है।

10 लाख आबादी के इन चार शहरों की समीक्षा

उत्तर प्रदेश में 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में यह प्रणाली को लेकर समीक्षा शुरू हो गई है। गाजियाबाद, प्रयागराज, आगरा और मेरठ में यह व्यवस्था लागू करने पर विचार किया जा रहा है। पहले से ही लखनऊ, नोएडा, वाराणसी और कानपुर में यह प्रणाली लागू हैं। आने वाले दिनो में कई अन्य ज़िलों में भी उसको विस्तार देने को लेकर मंथन किया गया हैं।

डीजी जेल कैडर के लिए गृह मंत्रालय भेजी गई फाइल
उत्तर प्रदेश के जेल विभाग में अलग कैडर बनाने को लेकर गृह विभाग ने समीक्षा की हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार यूपी में जल्द ही डीजी जेल कैडर पोस्ट होगा। यूपी सरकार की ओर से केंद्र को 2 डीजी कैडर पोस्ट का प्रस्ताव भेजा गया। डीजी जेल को कैडर पोस्ट बनाने पर गृह मंत्रालय की मुहर लग गई हैं।

कैसे होगा काम
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने से पुलिस को बड़ी राहत मिलती है। कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है। एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है। महानगर को कई जोन में विभाजित किया जाता है। हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है। जो एसएसपी की तरह उस जोन में काम करता है, वो उस पूरे जोन के लिए जिम्मेदार होता है। सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं ये 2 से 4 थानों को देखते हैं।

कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर ये होंगे पुलिस के पद
पुलिस आयुक्त या कमिश्नर – सीपी
संयुक्त आयुक्त या ज्वॉइंट कमिश्नर –जेसीपी
डिप्टी कमिश्नर – डीसीपी
सहायक आयुक्त- एसीपी
पुलिस इंस्पेक्टर – SHO
सब-इंस्पेक्टर – एसआई

क्या हैं इस प्रणाली के फायदे
कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही पुलिस के अधिकार बढ़ जाएंगे। किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को डीएम आदि अधिकारियों के फैसले के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पुलिस खुद किसी भी स्थिति में फैसला लेने के लिए ज्यादा ताकतवर हो जाएगी।

जिले की कानून व्यवस्था से जुड़े सभी फैसलों को लेने का अधिकार कमिश्नर के पास होगा। होटल के लाइसेंस, बार के लाइसेंस, हथियार के लाइसेंस देने का अधिकार भी इसमें शामिल होगा। धरना प्रदर्शन की अनुमति देना ना देना, दंगे के दौरान लाठी चार्ज होगा या नहीं, कितना बल प्रयोग हो यह भी पुलिस ही तय करती है। जमीन की पैमाइश से लेकर जमीन संबंधी विवादों के निस्तारण का अधिकार भी पुलिस को मिल जाएगा।

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