लखनऊ। बिजली संकट के बीच प्राइवेट कंपनियों ने आपदा में अवसर तलाशना शुरू कर दिया है। आरोप है कि 9 रुपए यूनिट वाली बिजली मौजूदा समय में कंपनियां 21 रुपए में बेच रही हैं। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस पर रोक लगाने की मांग की है। दलील है कि मौजूदा समय संकट बड़ा है। ऐसे में मुनाफाखोरी रोकने के लिए प्रति यूनिट बिजली बेचने का अधिकतम रेट तय किया जाए। उन्होंने बताया कि यूरोप में देशों में ऐसा हो चुका हैं, इसको यहां भी लागू करने की जरूरत है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने मामले में खुद हस्तक्षेप करने की मांग उठाई है। यह भी मांग की गई है कि जहां भी 8 घंटे से ज्यादा बिजली कट रही है, वहां पर अधिकारी उपभोक्ताओं का फोन अवश्य उठाए। उन्होंने बताया कि लगभग 2000 से 2500 मेगावाट की कटौती के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में 8 घंटे तक बिजली काटी जा रही है।
उन्होंने कहा कि कोयला पर एक समन्वय बैठक कर हालत को सामान्य करने की कार्ययोजना बनानी चाहिए। आने वाले समय में यह संकट विकराल रूप ले सकता है जैसी खबरें आ रही है इसलिए वर्तमान में सभी बिजली निगमों के अधिकारियों अभियंताओ के अलर्ट कर स्थित पर नजर बनाए रखने के लिए कहा जाए ।
आंदोलन से बचे बिजली इंजीनियर
कोयला संकट के चलते आए बिजली संकट पर सभी बिजली कार्मिक संगठनों घटनो से भी अपील की है की वह इस संकट के दौर में प्रदेश के 3 करोड़ उपभोक्ताओ का साथ दे। आंदोलन से बचे क्यों की यह सामान्य स्थित नहीं है। प्रदेश में उपभोक्ता परेशान है।
एसी में सभी का नैतिक दायित्व है की वह अपना पूर्ण योगदान दे। अभियंताओं से उपभोक्ता परिषद् ने अपील की वह लोग सभी का मोबाइल उठाए और उन्हें सही जानकारी दे क्यों की यह एक विषम परिस्थिति है। पूरे देश के ज्यादातर राज्यों में इस संकट से उपभोक्ता परेशान है ।