राजकुमार राव और कृति सेनन की अपकमिंग फिल्म ‘हम दो हमारे दो’ बायो बबल फॉर्मेट में शूट हुई है। यानी सारे कलाकार साथ ही सेम लोकेशन पर रहते थे। ऐसे में कलाकारों के बीच केमिस्ट्री बिल्ट अप करने में खासी आसानी हुई। साथ ही मेकर्स ने इसके जरिए यह जाहिर करने की कोशिश की है कि परिवार का निर्माण सिर्फ ब्लड रिलेशन वालों से ही नहीं होता।
अनजान लोग भी कई बार आम परिवार के मुकाबले ज्यादा गहरे रिश्ते कायम कर लेते हैं। मेकर्स का दावा है कि कोरोना महामारी के माहौल में लोगों ने अपने परिवारों के साथ ज्यादा वक्त बिताया है। ऐसे में वो इस फिल्म के साथ ज्यादा रिलेट कर पाएंगे।
राजकुमार राव और कृति सेनन को ध्यान में रख कर लिखी गई कहानी
अभिषेक जैन ने कहा, “हकीकत यही है कि कहानी जब से लिखी जा रही थी, तब से ही राजकुमार और कृति, अपार शक्ति और परेश रावल… यह सब दिमाग में थे। इनके अलावा कोई दूसरा हमारे दिमाग में नहीं था।
होता यह है कि लिखावट के समय एक अंदाजा रहता है कि किस एक्टर की क्या कैपेसिटी है, किस हद तक उस फिल्म को आगे ले जा सकते हैं और उसमें कितना वैल्यू एड कर सकते हैं। सौभाग्य से हमें वह लाभ भी मिल गया कि स्टार्स की डेट अवेलेबल थीं और उन्हें कहानी में इंटरेस्ट भी था।”
फिल्म की कहानी और किरदार
फिल्म में राज और कृति के किरदार, एक-दूसरे के प्रेम में हैं। इन्हें एक मोह है कि जिन लोगों को बच्चे नहीं होते, वे बच्चे एडॉप्ट करते हैं, पर क्या जिन लोगों के मां-बाप नहीं होते हैं, वे मां-बाप एडॉप्ट कर सकते हैं। कहानी इस बारे में है कि क्या आज की दुनिया में परिवार वह है, जो लोग ब्लड से रिलेटेड हों या फिर प्रेम, सद्भावना और संवेदनशीलता से बना हुआ है।
इस महामारी में हमने देखा कि परिवार के साथ बिताया समय बहुत इंपोर्टेंट है। जिनके परिवार नहीं थे, उनके पास-पड़ोस के लोग और यार-दोस्त उनका परिवार बन गए। परिवार की परिभाषा खून या जेनेटिकली रिलेशन से नहीं होती, वह प्रेम और संवेदनशीलता से होती है। संक्षिप्त में यही कहना चाहूंगा कि परिवार में दो तरीके के लोग होते हैं। हर तरह के लोग जब मिलते हैं, तब किस तरह की सिचुएशन खड़ी होती है, उस बारे में फिल्म है।
काफी रिलेटेबल है। भले ही ये किरदार बायोलॉजिकली एक-दूसरे से रिलेटेबल नहीं हैं, लेकिन जब चार अंजान लोग घर में इकट्ठा होते हैं, तब किस तरह की सिचुएशन खड़ी होती है। सबका अपना-अपना रिएक्शन क्या होता है? उस बारे में कहानी है।
कृति और राज का बहुत ही न्यू एज किरदार है। राज का किरदार एक स्टार्टअप चलाता है। आज के यंग जनरेशन का जो स्टार्टअप का पूरा आइडिया होता है, उस तरह का साधारण किरदार है। कृति का भी जो किरदार है, वह आज की मॉर्डन लड़की का है। लेकिन उसका टेक अलग है। मॉर्डन का मतलब यह नहीं है कि प्राइवेसी चाहती हो। वह चाहती है कि परिवार के साथ रहे और उनके साथ वक्त गुजारे। कुछ बहुत अजीब नहीं है, बल्कि सिंपल किरदार हैं, पर रिलेटेबल हैं।
बॉयो बबल में रहकर शूट करना फायदेमंद रहा
हमने बॉयो बबल में रहकर शूट किया, सो एक साथ रहते थे। इकट्ठा खाते-पीते, बातें करते और काम करते थे। इस तरह एक परिवार-सा माहौल बन गया था। इसके चलते काम करना काफी आसान हो गया। एक-दूसरे को जान-समझ गए। क्योंकि एक पारिवारिक फिल्म बनाते हैं, तब परिवार की तरह रहना और जीना होता है।
हम चाहते भी थे कि एक साथ रहकर एक-दूसरे को जाने-समझें, जिससे आपस में बॉडिंग बन जाए। यही कैरेक्टर की तैयारी भी थी कि बॉन्ड को रिफ्लेक्ट करके फिल्म में ला सकें। इस तरह बॉयो बबल में एक साथ रहकर काम करना फिल्म के लिए फायदेमंद रहा।
शादी के सीक्वेंस में कृति और राजकुमार पहने हैं लहंगा और शेरवानी
फिल्म में शादी के सीक्वेंस हैं, इसलिए चाहते थे कि कॉस्ट्यूम पर काफी ध्यान दें ताकि आज के जमाने की शादी लगे। मैं खुद मारवाड़ी परिवार से आता हूं, जहां पर बहुत बड़ा शादी समारोह होता है। लोगों को अतरंगी न लगे, इसलिए ऐसे कॉस्ट्यूम चूज किए, जिसे देखकर लोगों को लगे कि वे भी उसे पहनकर शादी में जा सकते हैं।
सिंपलीसिटी की तरह अप्रोच करने की कोशिश की है, पर साथ में उतना ही ग्लैमरस रखने की भी कोशिश है। दोनों पेस्टल कलर, पिस्ता और पिंक कलर के कॉस्ट्यूम में दिखाई देंगे। काफी कलरफुल हैं। कॉस्ट्यूम डिजाइनर जिया, मलिका और सुकीर्ति आदि ने मिलकर कॉस्ट्यूम डिजाइन पर अच्छा काम किया है। अच्छी नई डिजाइन लेकर आए हैं। शायद इन्हें देखकर लोग शादियों में कैरी करना चाहें।
वीडियो कॉल पर हुए लोकेशन फाइनल
कोरोना को देखते हुए एक ही शेड्यूल में पूरी फिल्म कंप्लीट की गई। शूटिंग एकमुश्त 45 दिनों में चंडीगढ़ में की गई है। मैंने वीडियो कॉल पर देखकर शूटिंग लोकेशन फाइनल की थीं। शूटिंग के 15 दिन पहले चंडीगढ़ जाकर जितने लोकेशन वीडियो पर देखे थे, उसे रू-ब-रू देखने का मौका मिला।
इस तरह लोकेशन फाइनल किए। चंडीगढ़ का सुखना लेक से लेकर वहां की फेमस जगह सेक्टर-17 और घर, बाजार, सड़कें आदि जगहों पर शूट किया गया है। एक तरह से पूरे चंडीगढ़ में शूट किया गया।
लाइट, कैमरा, एक्शन बोलकर कट कहना भूल जाता था
कैरेक्टर और स्क्रिप्ट को लेकर काफी इंप्रोवाइज किया गया। कॉमेडी फिल्म थी, इसलिए एक्टर को भी थोड़ी छूट दी गई। ऐसे भी किस्से बने कि मैं लाइट, कैमरा, एक्शन बोलकर कट कहना भूल जाता था, क्योंकि कैमरे के सामने बैठकर हंसे ही जा रहा था। बाद में रियलाइज होता था कि मुझे कट भी कहना है।
फिल्म में होंगे 6 गाने
फिल्म में शादी का गीत, बिरह का गीत, प्रेम का गीत सहित कुल 6 गाने हैं। ये गाने फिल्म की कहानी के साथ बंधे हुए हैं। राजकुमार और कृति पर तीन गाने फिल्माए गए हैं, जबकि पूरे परिवार पर तीन गाने फिल्माए गए हैं।
फिल्म की यूएसपी
फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी है कि यह आज के समय की पारिवारिक फिल्म है। इसे पूरे परिवार के साथ बच्चे से लेकर बूढ़े तक, एक साथ बैठकर देख सकते हैं। काफी रिलेटेबल पारिवारिक फिल्म है, जो आज की तारीख में अपने आप में एक यूएसपी बन गई है। आज के समय ओटीटी पर ऐसी बहुत कम चीजें आती हैं, जिसे एक साथ बैठकर देख सकें।
फिल्म में संदेश
आज की तारीख में परिवार की परिभाषा क्या है। लोग ब्लड रिलेटेड होते हैं, वही हैं या फिर प्रेम और संवेदनशीलता भी एक परिवार बनाती है। जरूरी नहीं कि माता-पिता में परिवार देखें, किसी अंजान व्यक्ति और पड़ोस में भी अपना परिवार देख सकते हैं।
- यह सिंक साउंड था, इसलिए डबिंग करने की जरूरत नहीं पड़ी। पोस्ट प्रोडक्शन में आए, तब हमें पता चला कि हमें ज्यादा कुछ डब करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सब कुछ बहुत क्लीन है। प्रोडक्शन की दाद देनी होगी कि जिस तरह महामारी में काम किया गया है, वह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
- बतौर डायरेक्टर कहूं तो फिल्म लेखन से लेकर पर्दे पर लाने तक चुनौतियां बहुत होती हैं। लेकिन, फिल्म मेकिंग का एक प्रोसेस होता है, उसे मिस किया। हम लोग शूट के कुछ समय पहले ही मिले, उससे पहले मिले ही नहीं थे।
- पूरी फिल्म ऑलमोस्ट रियल लोकेशन पर शूट की गई है। इसके लिए कोई सेट नहीं लगाया गया। दूसरे लोकेशन को प्रॉपप किया गया है।
- फिल्म की स्टार कास्ट में राजकुमार राव, कृति सेनन, परेश रावल, रतना पाठक शाह, अपारशक्ति खुराना, मनु ऋषि चड्ढा, प्राची शाह, सदानंद वर्मा आदि हैं।