सुप्रीम कोर्ट की दिल्ली सरकार को खरी-खरी, न हो कोरोना से मौतों के आंकड़े दबाने की कोशिश

– दिल्ली सरकार के वकील से कहा, आपके हलफनामे से लगता है जैसे सब ठीक हो
– केंद्र सरकार का हलफनामा अब तक न आने पर सवाल उठाया, 19 जून तक मांगा 
नई दिल्ली। कोरोना मरीजों के उचित इलाज और बीमारी से मरने वालों के शव को अस्पतालों में गरिमापूर्ण तरीके से रखे जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र का हलफनामा अब तक न आने पर सवाल उठाया। कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि आपके हलफनामे से लगता है जैसे सब ठीक हो। आंकड़े दबाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को 19 जून तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी निर्देश दिया कि वो बेहतर हलफनामा दाखिल करें। इस मामले पर अगली सुनवाई 19 जून को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि आपका रवैया उन्हें दंडित करने का है जो सच सामने ला रहे हैं। दिल्ली में बने हेल्प डेस्क की ज़िम्मेदारी आईएएस अफसर को सौंपने पर भी कोर्ट ने सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर और हॉस्पिटल स्टाफ के ऊपर एफआईआर दर्ज करने के लिए दिल्ली सरकार को फटकार लगाई।
कोर्ट ने कहा कि सच सामने ला रहे लोगों पर कार्रवाई का रवैया गलत है। आपने उसे भी निलंबित कर दिया जिसने हॉस्पिटल की बदहाली का वीडियो बनाया। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार को ऐसी हर कार्रवाई को वापस लेना चाहिए।
पिछले 12 जून को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम शवों से ज्यादा जिंदा लोगों को इलाज को लेकर चिंतित हैं। सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि शवों को हैंडल करने पर दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
कोर्ट ने दिल्ली में कोरोना के टेस्ट कम होने पर सवाल उठाया था। कोर्ट ने कहा था कि टेस्ट की संख्या भी कम कर दी गई है। दिल्ली में बहुत कम टेस्ट हो रहे हैं। किसी का भी टेस्ट होने से मना नहीं होने चाहिए। ज्यादा से ज्यादा टेस्ट हो ताकि लोग समय पर एहतियात बरत सकें। कोर्ट ने कहा था कि मीडिया रिपोर्ट से हमें मरीजों की दुर्दशा की जानकारी मिली। उनको शव के साथ रहना पड़ रहा है।
ऑक्सीजन जैसी सुविधा नहीं मिल रही है। लोग मरीज़ को लेकर इधर-उधर भाग रहे हैं जबकि सरकारी अस्पतालों में बिस्तर खाली हैं। वीडियो सामने आए हैं कि मरीज सहायता के लिए कराह रहे हैं पर कोई देखनेवाला नहीं है। यहां तक कि मरने वालों की सूचना उनके घरवालों को नहीं दी जा रही है। कई केस में वो अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाए।
कोर्ट ने कहा था कि 15 मार्च को शवों को हैंडल करने पर केंद्र ने दिशानिर्देश जारी किया था। इसका पालन नहीं हो रहा है। दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और प.बंगाल में इलाज को लेकर हालात सबसे ज़्यादा खराब हैं। कोर्ट ने इन राज्यों के अलावा दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल को अलग से नोटिस जारी किया था।
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