योग के बल पर दिव्यांग का इण्डिया बुक आफ रिकॉर्डस मे दर्ज हुआ नाम

– भारत के साथ कदमताल, योग से निरोग की ओर दुनिया
 
महोबा। विश्व के साथ समूचे भारत को योग से निरोग बनाने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर अब योगाभ्यास अपने अपने घरों पर ही किया जा रहा है। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के चलते अब लोग ऑनलाइन तरीके से बड़ी संख्या मे एक साथ योग कर रहे है । शहरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र में भी मानव जीवन को निरोग बनाने को लेकर महोबा मुख्यालय में 24 माई फिट क्लब ऑनलाइन योग करा लोगों को स्वस्थ रखने का काम कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर विश्व के साथ समूचे भारत में 21 जून सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया है। बुंदेलखंड के महोबा जिले के रहने वाले शारीरिक रूप से दिव्यांग उत्तम सिंह यादव ने योग के बल पर अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्डस में नाम दर्ज करा जिले का नाम भी रोशन किया है। उत्तम सिंह के पैर नही है लेकिन अपने हाथो के बल पर वे पहाड़ों सीढ़ियों पर बिना रुके बिना थके चलकर लोगों को हैरान कर देते है। वे पहाड़ी पर बने विकास भवन की सीढ़ियों को आसानी से चढ़ एवं उतर जाते है। 151 सीढ़ियों को उल्टे होकर हाथों से चलने के कारनामे ने उन्हें अपना नाम इण्डिया बुक ऑफ रिकार्डस में दर्ज कराया।
योग शिक्षक अमित श्रोतीय बताते है कि छात्र- छात्राओं के जीवन में शरीर को निरोग रखने हेतु योग को दैनिक दिनचर्या में शामिल किया है। जीवन को रोग से निरोग की विधा कही जनपद मुख्यालयों में ही सीमित ना रहनी चाहिए। योग को मानव जीवन में बचपन से ही अपनाना चाहिए जिससे हम हमेशा निरोग रह सकते है।
उन्होंने कहा कि देश के प्रत्येक शहर, गांव में योग विधा का भव्य आयोजन किया जाना चाहिए। यह योग क्रिया शहरों के अलावा नगर और ग्रामीण अंचलों में लोगों को सीखनी चाहिए। योग को अगर हम बचपन से अपने जीवन मे उतार लें तो हम हमेशा स्वस्थ जीवन मिल सकता है। योग का महत्व आज पूरी दुनिया ने समझा है और यह गौरवपूर्ण श्रेय भारत को ही जाता है, जिसका अनुशरण आज विश्व कर रहा है। आज हम इसकी पृष्ठभूमि में नजर डालें तो योग कोई आधुनिक काल में उत्पन्न कोई क्रिया नहीं है, यह वैदिक व प्राचीनकाल से हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग रहा है, भगवान कृष्ण को योगेश्वर नाम भी दिया गया, आज हमारे शास्त्रों में इसका उल्लेख मिलता है, ऋषियों, मुनियों ने योग साधना से ही हजारों वर्षों का निरोगी जीवन प्राप्त कर साधना कर ईश्वर को प्राप्त कर मृत्यु तक पर विजय प्राप्त की।
योगसाधना से प्राणवायु को रोकना, वक्ष, कण्ठ, मस्तक, ब्रम्हांरन्ध्र में स्थित करना और प्राणवायु को समष्टि वायु में,पार्थिव शरीर को पृथ्वी में,शरीर के तेज को समृष्टितेज में लीन करना आदि क्रियाएं योग की ही विधाएं रही हैं। योगीजन शरीर के पंचभौतिक तत्वों में पृथ्वी को जल मे, जल को तेज में, तेज को वायु में और वायु को आकाश में लीन कर मन को सविकल्प ज्ञान में, इंन्द्रियों को कारणरूप तंत्र मात्राओ में और सूक्ष्मभूतो के कारण अंहकार के द्वारा आकाश, इंन्द्रिय और तंत्रमात्राओ को उसी अंहकार में लीन कर अंहकार को महत्वतत्व में लीन करने क्रियाएं योग से ही सम्भव होती रही हैं।
जो आज आधुनिक दुनिया की चमक दमक मे धुंधला सी गई थी, पर बीते समय में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास व आवाहन ने दुनिया को इसकी महत्ता समझाने में अहम भूमिका अदा की, जिसके चलते विश्व समुदाय योग को अपना कर भारत का अनुशरण कर रहा है, भारत के स्थापित होते कीर्तिमान से हम सभी गौरवान्वित हैं।
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