… लेकिन नहीं पसीज रहा मोदी सरकार का दिल

लखनऊ। देश का अन्नदाता अब भी सड़क पर है। नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन तेज हो गया है। सरकार के साथ किसानों की कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन नतीजा कुछ भी निकला है।

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दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर किसान 39 दिन से डटे हैं लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं है। उधर किसानों का आंदोलन चल रहा है तो दूसरी ओर मौसम ने भी एकाएक करवट बदल ली है।

नए साल की शुरुआत के बाद से ही देश के कई हिस्सों में कड़ाके की ठंड ने दस्तक दी है लेकिन किसानों का आंदोलन अब भी जारी है। आलम तो यह रहा कि कड़ाके की ठंड के बीच  शनिवार की रात बारिश ने किसानों के सब्र का इम्तिहान ले लिया है लेकिन इसके बावजूद किसान किसी भी कीमत पर पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं।

हालांकि गाजियाबाद और नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर किसान किसी तरह अपने आप को ठंड से बचाने के लिए संघर्ष करते नजर आये हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान कड़कड़ाती ठंड और कोहरे के बीच किसानों का आंदोलन अब भी जारी है।

बारिश से खुद को बचाने के लिए कुछ किसान भागकर टेंट और ट्रॉली के नीचे छिप गए। कड़ाके की ठंड के बीच हुई बारिश ने ठिठुरन से आम इंसान सहम जाता है जबकि किसान ऐसे हालात में सड़क पर है।

हालांकि चार जनवरी को किसानों और सरकार के बीच अहम बातचीत होनी है लेकिन अब भी बड़ा सवाल है कि कब किसानों का आंदोलन खत्म होगा। उधर किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि अगर 4 तारीख की बातचीत से कोई नतीजा नहीं निकलता है तो आंदोलन और तेज होगा।

इसके अलावा 26 तारीख को गणतंत्र दिवस परेड की जगह पर वह अपनी ट्रैक्टर ट्रॉलियों और दूसरी गाड़ियां की परेड निकालेंगे। 13 जनवरी को लोहड़ी/ संक्रांति के अवसर पर देशभर में किसान संकल्प दिवस के रूप में मनाएंगे।

उसी दिन तीनों कृषि कानून की कॉपियां जलाई जाएंगी। अब देखना होगा कि क्या सरकार और किसानों के बीच कल होने वाली अहम बैठक में कोई ठोस नतीजा निकलता है या नहीं। कुल मिलाकर इस कड़ाके की ठंड और बारिश ने किसानों के लिए बड़ी परेशानी पैदा कर दी है।

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