हजार बर्क गिरे लाख आंधियां उठें वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं…

लखनऊ। हजार बर्क गिरे लाख आंधियां उठें वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं….। कुछ ऐसी ही कहानी उत्तर प्रदेश के 5 होनहारों की है। कम उम्र में बड़े कारनामे कर अपना व प्रदेश का नाम देश-दुनिया में रोशन किया। आखिरकार उनका चयन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2021 के लिए हुआ है।

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इसमें लखनऊ के व्योम आहूजा, बाराबंकी के कुंवर दिव्यांश सिंह, गौतमबुद्धनगर के चिराग भंसाली, अलीगढ़ के मोहम्मद शादाबाद और प्रयागराज के मोहम्मद राफे शामिल हैं।

लखनऊ के व्योम ने ढाई साल की उम्र में बांसुरी वादन से मोहा मन

  • इंडिया बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में 28 बार नाम दर्ज करवा चुके लखनऊ के होनहार व्योम आहूजा आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वर्चुअली संवाद करेंगे। व्योम की उम्र महज 11 साल है। लेकिन इतनी कम उम्र में व्योम ने संगीत के साथ ज्ञान, विज्ञान और खेल में कई उपलब्धियां हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन किया है। उनका चयन राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2021 के लिए हुआ है। व्योम कहते हैं कि अब तक मिले हर पुरस्कार ने हौसला बढ़ाया है, लेकिन प्रधानमंत्री की तरफ से मिलने यह सम्मान बेहद खास है।
  • व्योम लखनऊ के निरालानगर में रहते हैं। वे गोमतीनगर स्थित सिटी मांटेसरी स्कूल में कक्षा 7 के छात्र हैं। पिता निखिल व्यवसायी और मां दीया गृहिणी हैं। स्कूल की तरफ से व्योम को ग्रैंड मास्टर अवार्ड भी मिल चुका है। व्योम ने दो साल चार माह की उम्र में बांसुरी वादन शुरू कर दिया था। जबकि 9 साल की उम्र में बंजी जंपिंग कर एशिया के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल कर लिया था। पढ़ाई के क्षेत्र में दो बार फ्यूचर कलाम अवार्ड भी पा चुके हैं। इसके अलावा तीन एशिया व 4 यूनिवर्स अवार्ड भी हासिल किया है।
व्योम आहूजा।
व्योम आहूजा।

प्रयागराज के मोहम्मद ने जूनियर एशियन गेम्स में दिलाया था पदक

  • खेल श्रेणी में प्रयागराज के रहने वाले 17 साल के मोहम्मद राफे का चयन हुआ है। सिविल लाइन के रहने वाले मोहम्मद बताते हैं कि उनके लिए यह गौरव का क्षण है। इसे वह कभी भुला नहीं सकते हैं। साल 2019 में मोहम्मद राफे ने मंगोलिया की राजधानी उलान बाटर हवे में हुई जूनियर एशियन गेम्स में भारत को जिम्नास्टिक में कांस्य पदक दिलाकर अपने जनपद प्रयागराज व प्रदेश का नाम रोशन किया था। बता दें कि जूनियर एशियन गेम्स में बीते 10 सालों में भारत को जिम्नास्टिक में कोई मेडल नहीं मिला था। अब मोहम्मद ओलंपिक में गोल्ड पदक हासिल करने के लिए मेहनत कर रहे हैं।
  • मोहम्मद के पिता नफीस व्यवसायी हैं, जबकि मां शाहीन गृहिणी हैं। खेल गांव पब्लिक स्कूल में 12वीं के छात्र मोहम्मद का चयन सेना के लिए हो चुका है। अब वे सेना की तरफ से खेलेंगे। वर्तमान में वे पुणे स्थित सेना के कैंप में अभ्यास कर रहे हैं। खेल गांव के रहने वाले अंकित से मोहम्मद ने 5 साल की आयु से ही प्रशिक्षण लेना शुरू किया था। मोहम्मद राफे राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पांच बार नेशनल चैंपियन रहे हैं। जबकि खेलो इंडिया यूथ गेम्स में तीन बार गोल्ड पदक जीता है।

बाराबंकी के कुंवर दिव्यांश ने 13 साल की उम्र में सांड से किया था मुकाबला

  • बात 30 जनवरी 2018 की है। नवाबगंज तहसील के मखदूमपुर गांव निवासी कुंवर दिव्यांश सिंह अपनी 5 साल की बहन समृद्धि के साथ स्कूल से लौट रहा था। साथ में सात और बच्चे भी थे। तभी शहर के रोडवेज बस अड्डे के पास एक सांड ने उसकी बहन पर हमला कर दिया। बहन की जान का खतरा देख दिव्यांश ने बहादुरी दिखाते हुए अपने स्कूली बैग से ही हमलावर सांड से भिड़ गया। दिव्यांग के दाहिने हाथ में फ्रैक्चर हो गया था। लेकिन उसने हार नहीं मानी। आखिरकार में सांड को भगाकर बहन की जान बचा ली। तब उसकी उम्र महज 13 साल की थी।
  • इसके लिए इन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तर सहित करीब 24 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। अब इनका चयन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार अवार्ड-2021 के लिए किया गया है। दिव्यांश के पिता डॉ. डीबी सिंह लखनऊ स्थित डॉ. शकुंतला मिश्र दिव्यांग विश्वविद्यालय में छात्र कल्याण विभाग के एसोसिएट संकायाध्यक्ष और मां डॉ. विनीता सिंह पैसार स्थित श्री गंगा मेमोरियल पीजी कॉलेज में उपाचार्य हैं। कुंवर दिव्यांश सिंह का कहना है कि किसी भी मुश्किल से डरने के बजाय उसका मजबूती से मुकाबला करना चाहिए।
कुंवर दिव्यांश।
कुंवर दिव्यांश।

अलीगढ़ के शादाब ने अमेरिका में अपनी मेधा का लोहा मनवाया

  • अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र मोहम्मद शादाब ने केनेडी-लूगर यूथ एक्सचेंज एंड स्टडी स्कॉलरशिप के जरिए अमेरिका के बेलफास्ट एरिया हाईस्कूल में पढ़ाई की थी। उसने 97.6 फीसदी नंबर हासिल कर स्कूल टॉप किया था। उसे स्कॉलरशिप में 28 हजार अमेरिकी डॉलर मिले थे। उसे फरवरी 2020 में स्कूल में स्टूडेंट ऑफ द मंथ भी चुना गया था। शादाब के पिता अरशद नूर मोटर मैकेनिक हैं। मां जरीना बेगम गृहिणी हैं। अरशद पढ़े लिखे नहीं हैं। लेकिन उन्होंने बेटे को पढ़ाने के लिए हाड़ तोड़ मेहनत की। जिसका फल आज उन्हें मिल रहा है। शादाब का बड़ा भाई बीएससी का पढ़ाई कर चुका है। जबकि छोटी बहन अभी पढ़ रही है। शादाब का कहना है कि वह संयुक्त राष्ट्र में ह्यूमन राइट अफसर के रुप में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहता है।
शादाब।
शादाब।

गौतमबुद्धनगर के चिराग ने 12 साल की उम्र यूट्यूब से सीख ली थी कोडिंग

  • गौतमबुद्धनगर जिले में सेक्टर 40 के रहने वाले चिराग भंसाली 11वीं के छात्र हैं। उन्हें इनोवेशन के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिल रहा है। चिराग ने चीनी ऐप पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद स्वदेशी टेक नाम की वेबसाइट बनाई है। इस प्लेटफार्म पर भारतीय यूजर्स के लिए चीन के हर प्रतिबंध ऐप का विकल्प मौजूद है। चिराग बताते हैं कि इस वेबसाइट बनाने का विचार क्लासरूम में बैठे-बैठे आया था। एक सप्ताह में बनी वेबसाइट का 12 जून 2020 को लांचिंग हुई थी। चिराग ने महज 12 साल की उम्र में यूट्यूब के जरिए कोडिंग करना सीख लिया था।
  • वर्तमान में 16 साल के हो चुके चिराग भंसाली ने कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पहला स्थान हासिल किया है। 20 अक्टूबर 2019 को सूचना प्रौद्योगिकी परामर्श सेवाएं और व्यवसाय सुविधाएं प्रदान करने वाली टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज द्वारादिल्ली में आयोजित टीसीएस आईटी क्विज में चिराग विजेता रह चुके हैं।
चिराग भंसाली।
चिराग भंसाली।

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