बजट में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा से कर्मियों में गुस्सा : शैलेन्द्र दुबे

लखनऊ,। केन्द्रीय बजट को लेकर सत्तारूढ़ दल से जहां सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। वहीं इसके विभिन्न पहलुओं को लेकर कर्मचारी और अन्य संगठन विरोध भी जता रहे हैं।

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ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे और उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के अध्यक्ष वीपी सिंह ने आम बजट पर प्रतिक्रिया में कहा है कि बजट में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा से बिजली कर्मियों में गुस्सा व्याप्त हो गया है और इनकम टैक्स में कोई राहत न मिलने से भारी निराशा है।

उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कम्पनियों की मोनोपोली  समाप्त करने के नाम पर एक क्षेत्र में एक से अधिक बिजली वितरण कम्पनियों के आने का साफ मतलब है कि वर्तमान में सरकारी बिजली कम्पनियों के अतिरिक्त निजी कम्पनियों को बिजली आपूर्ति का कार्य दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इसके बाद निजी बिजली कम्पनियां सरकारी वितरण कम्पनियों के नेटवर्क का बिना नेटवर्क में कोई निवेश किये प्रयोग करेंगी। इतना ही नहीं तो निजी कम्पनियां केवल मुनाफे वाले औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बिजली देंगी और घाटे वाले ग्रामीण और घरेलू उपभोक्ताओं को सरकारी कंपनी घाटा उठाकर बिजली देने को विवश होगी।

इससे पहले ही आर्थिक संकट से कराह रही सरकारी बिजली कम्पनियों की माली हालत और खराब हो जाएगी। परिणामस्वरूप किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं पर घाटे का बोझ आएगा और अंततः इन उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होगी।

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