क्या बीजेपी दलबदलुओं के सहारे बंगाल में ‘असल परिवर्तन’ करने जा रही है?

नई दिल्ली। बीते दस सालों से बंगाल की सत्ता में रही तृणमूल कांग्रेस में असंतोष, बगावत और पलायन का दौरा विधानसभा चुनाव के ऐलान के पहले ही शुरू हो गया था, लेकिन टीएमसी का घर तोड़ कर अपना घर बसाने की कोशिश में लगी भाजपा भी इससे अछूती नहीं है।

Advertisement

एक ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पश्चिम बंगाल में असल परिवर्तन का नारा देकर तृणमूल को उखाड़ फेंकने का आह्वान कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर दलबदलुओं को टिकट दिए जाने से पार्टी समर्थक पूरी तरह निराश हो गए हैं। भाजपा द्वारा उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद से ही राजधानी कोलकाता समेत पूरे राज्य में भाजपा की अंदरूनी कलह सतह पर आ गई है।


बाहरी उम्मीदवारों को थोपने से नाराज भाजपा के पुराने नेताओं व कार्यकर्ताओं द्वारा एक सप्ताह पहले राज्य के तमाम इलाकों में तोड़-फोड़ और विरोध प्रदर्शन का जो सिलसिला शुरू किया था वह जस का तस बना हुआ है।

भाजपा ने जिन 283 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है, उनमें से 150 नाम ऐसे हैं जो तृणमूल, कांग्रेस और सीपीएम से आए हैं। भाजपा के इस कदम पर पार्टी से जुड़े लोगों का सवाल है कि क्या भाजपा दलबदलुओं के सहारे असल परिवर्तन करने जा रही है?

भाजपा की उस समय ज्यादा किरकिरी हुई जब तृणमूल के तरूण साहा और कांग्रेस की शिखा मित्रा चौधरी का स्टेटमेंट सामने आया। इन दोनों नेताओं ने भाजपा का टिकट लेने से साफ मना कर दिया।

टिकट न मिलने पर हंगामा

बंगाल चुनाव के सभी चरणों के लिए गुरुवार को भाजपा की 148 प्रत्याशियों की लिस्ट को लेकर पार्टी में ही हंगामा खड़ा हो गया।

बंगाल के कई इलाकों में भाजपा कार्यकर्ताओं ने इसके विरोध में भाजपा दफ्तर में बवाल काटा। कई जगहों पर कार्यकर्ताओं ने भाजपा दफ्तर में तोडफ़ोड़ कर पोस्टर-बैनर फाड़ दिए और जमकर नारेबाजी की।

चुनाव से ठीक पहले भाजपा कार्यकर्ताओं में इस तरह की नाराजगी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। विरोध कर रहे नेताओं, कार्यकर्ताओं का सवाल है कि दलबदलू मुकुल रॉय, सुनील सिंह, सब्यासाची दत्त, दिप्तांग्सु चौधरी, रुद्रनिल घोष, पबन सिंह, अरिंदम भट्टाचार्य, शीलभद्र दत्ता और जितेंद्र तिवारी जैसे दलबदलुओं के सहारे पार्टी असल परिवर्तन का सपना देख रही है।

अलीपुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाए गए अशोक लाहिड़ी को लेकर भी पार्टी में विरोध के स्वर सामने आ रहे हैं। वह पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार भी रह चुके हैं।

हुगली जिले के कोन्ननगर में भाजपा के संभावित उम्मीदवार रहे बीजेपी नेता कृष्णा भट्टाचार्य ने तो निर्दलीय के तौर पर मैदान में उतरने का फैसला किया है। उस सीट पर टीएमसी से आए प्रबीर घोषाल को टिकट दिया गया है।

कोलकाता में भाजपा के सांसद अर्जुन सिंह को भी कार्यकर्ताओं की नाराजगी का शिकार होना पड़ा। अर्जुन सिंह कहते हैं, “हमने राज्य की सभी विधानसभा सीटों के बारे में स्थानीय नेताओं की शिकायतें सुनी हैं। हम अपनी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेज रहे हैं। अगर शिकायत सही हुई तो इस पर विचार किया जाएगा।”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here