बेहतर और सेफ रिटर्न के लिए टैक्स-फ्री बांड में कर सकते हैं निवेश

नई दिल्ली। अगर आप इन दिनों कहीं ऐसी जगह निवेश करने का प्लान बना रहे हैं जहां निवेश करने पर आपको फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा रिटर्न मिले और आपको टैक्स छूट का फायदा तो आप टैक्स-फ्री बांड में निवेश कर सकते हैं। इसमें निवेश करने पर आपका पैसा सुरक्षित रहता है और आपको एक निश्चित रिटर्न भी मिलता है। ये बांड सरकार की ओर से किसी खास उद्देश्य के लिए जारी किए जाते हैं, इसलिए इन पर सरकार की सॉवरेन गारंटी होती है। आज हम आपको टैक्स फ्री बांड के बारे में बता रहे हैं।

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क्‍या होता है टैक्स-फ्री बांड?
यह एक तरह का डेट इंस्ट्रुमेंट होता है। कंपनियों को जब अपने बिजनेस के विस्तार के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह इस तरह के डेट इंस्ट्रुमेंट जारी करती है, जिसे बांड कहा जाता है। बांड शेयर बाजार में लिस्‍टेड होता है। टैक्‍स-फ्री बांड सामान्य बांड से अलग होता है क्‍योंकि इसके रिटर्न पर टैक्‍स नहीं लगता है। इसमें अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है।

कौन जारी करता है टैक्स फ्री बांड?
आमतौर पर टैक्स-फ्री बांड सरकार की सपोर्ट से चलने वाली कंपनियां ही जारी करती हैं। इन कंपनियों को इनकम टैक्स की धारा 1961 के तहत टैक्स-फ्री बांड जारी करने की अनुमति मिलती है। सार्वजनिक उपक्रमों की कंपनियां भी टैक्स-फ्री बांड जारी करती हैं, जैसे एचएचआई, एनटीपीसी, एनएचपीसी, हुडको आदि।

टैक्स-फ्री बांड से प्राप्त रिटर्न पर मिलती है टैक्स छूट
टैक्स-फ्री बांड पर मिलने वाले रिटर्न पर टैक्स छूट मिलती है। आमतौर पर एफडी, एनएससी और दूसरे बांड पर ब्याज से होने वाली आय पर टैक्स देना होता है, जबकि टैक्स-फ्री बांड के ब्याज से होने वाली आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता है। हालांकि, प्रिंसिपल अमाउंट पर किसी भी तरह की छूट नहीं मिलती है। शेयर बाजार में लिस्ट होने से निवेश में तरलता होती है। डीमैट के रूप में मिलने से इसे संभालना या मॉनिटर करना भी आसान होता है।

इसमें रहता है लॉक इन पीरियड
टैक्स-फ्री बांड पर आम तौर पर कम से कम 5 साल का होता है। वहीं, कुछ पर इससे ज्यादा लॉक-इन पीरियड होता है।

किसके लिए बेहतर
पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट और ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के संस्थापक व सीईओ पंकज मठपाल टैक्स-फ्री बांड उनके लिए सही माना जाता है जो निवेश पर फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा ब्याज चाहते हैं, लेकिन रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। इन पर स्थिर लेकिन सुरक्षित रिटर्न मिलता है। इसके अलावा ये उन टैक्सपेयर्स के लिए सही है जो हाई टैक्स ब्रैकेट यानी 20% या ज्यादा के टैक्स ब्रैकेट में आते हों।

इसमें कैसे कर सकते हैं निवेश
टैक्स-फ्री बांड एक्सचेंज पर मिलते हैं। तो आप इन बांड को बॉम्ब स्टॉक एक्सचेंज और निफ्टी स्टॉक एक्सचेंज से खरीद सकते हैं। सभी बांड एक ब्याज दर ऑफर करते हैं, जिस दर के हिसाब से सालाना ब्याज का भुगतान किया जाता है।

टैक्स फ्री बांड्स और टैक्स सेविंग बांड्स में है अंतर
कई लोगों को लगता है टैक्स फ्री बांड्स और टैक्स सेविंग बांड्स एक ही होते हैं लेकिन ये सही नहीं है। ये दोनों अलग-अलग हैं। टैक्स सेविंग बांड के मामले में इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80CCF के तहत टैक्स बेनीफिट मूल राशि पर मिलता है, जो एक वित्त वर्ष में इन बांड्स में निवेश की जाती है।

दूसरी ओर टैक्स फ्री बांड्स में होने वाली ब्याज इनकम पूरी तरह टैक्स फ्री होती है। इन बांड में निवेश पर मिलने वाली इनकम पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होता, जबकि टैक्स सेविंग बांड के ब्याज पर टैक्स लगता है।

FD से बेहतर ऑप्शन
पंकज मठपाल कहते हैं कि अगर आप हाई टैक्स ब्रैकेट में आते हैं और इन दिनों FD में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो आपके लिए टैक्स फ्री बॉन्ड बेहतर ऑप्शन होता है क्योंकि इससे मिलने वाला रिटर्न टैक्स फ्री होता है। इसके अलावा आप जब चाहें इस बॉन्ड को बेचकर अपना पैसा वापस पा सकते हैं। जबकि FD में ऐसा नहीं होता।

इसमें अगर आप समय से पहले FD तुड़वाते हैं तो आपको पेनल्टी देनी होती है। जबकि टैक्स फ्री बॉन्ड में आप अगर निवेश करते हैं तो आप मैच्योरिटी से पहले ही इसे बेच सकते हैं। इससे आपके पास लिक्विडिटी की कमी नहीं हेागी। इसके अलावा यहां आपको FD से ज्यादा रिटर्न मिलता है।

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