फिल्ममेकर फराज आरिफ अंसारी शुक्रवार की सुबह एक्टर सुरेखा सीकरी के निधन की खबर से टूट गए। सुरेखा ने अंसारी की वेब सीरीज ‘दुल्हा वांटेड’ में काम किया था, जिसे उन्होंने 2017 में लिखा और डायरेक्ट किया था। शूटिंग के दौरान ही दोनों को एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानने का मौका मिला था।
75 साल की सुरेखा का कार्डियक अरेस्ट के चलते निधन हो गया। तीन नेशनल अवॉर्ड जीत चुकीं सुरेखा 2020 तक काफी एक्टिव थीं। वह फिल्मों और टेलीविजन सीरियल्स में लगातार दिख रही थीं, लेकिन पिछले एक साल से खराब स्वास्थ्य और लॉकडाउन ने उन्हें एक्टिंग से दूर कर दिया था।
काम के दौरान अंसारी और सुरेखा की हुई थी दोस्ती
अंसारी कहते हैं, “उन्होंने शो में दादी की भूमिका निभाई, और वह किसी भी दादी के विपरीत थीं, जो माफिया के गाने बजाती थीं, बाल विवाह के बारे में बात करती थीं। मेरे जीवन में कभी दादी नहीं थीं, मैंने उन्हें 10 साल की उम्र में खो दिया था।
मैं उस पल को अपने लिए फिर से रीक्रिएट करना चाहता था और इसे रियल लाइफ में भी अनुभव करना चाहता था। सुरेखा जी मेरी पहली पसंद थीं और शुक्र है कि वह मान गई थीं। मुझे उनके साथ लंबे समय तक काम करने का मौका मिला और इस वजह से हमारे बीच में एक गहरी दोस्ती बन गई थी।”
शूटिंग करने के लिए व्हीलचेयर पर आना चाहती थीं सुरेखा
अंसारी आगे कहते हैं, “यह एक डायरेक्टर-एक्टर का रिश्ता नहीं था, वह मुझे अपना ‘हमराज’ कहती थीं। मैं उसके बाद दुनिया के हर उस हिस्से से उनके लिए इत्तर लाया, जहां भी मैं गया। यहां तक कि अगर उनके पास यह नहीं होता, तो भी मैं जाकर किसी तरह इसे ले आता। ‘शीर कोरमा’ से पहले जब वो बिस्तर पर पड़ी थीं तो मैं उनसे मिलने गया था।
मैंने उनसे कहा, ‘आपको आराम करने की जरूरत है और आपको मेरे लिए शूटिंग करने की जिद्द नहीं करनी चाहिए’। उन्होंने कहा, ‘नहीं, यह आपकी फिल्म है और मुझे वहां रहने की जरूरत है। मैं व्हीलचेयर पर आउंगी।”
सभी फॉर्मेलिटीज पूरी होने के बाद भी सुरेखा शूटिंग पर नहीं जा सकीं
सुरेखा के साथ सभी फॉर्मेलिटीज पूरी होने के बाद भी, वो शूटिंग पर नहीं जा सकीं, और फिर डायरेक्टर को पूरी तरह से स्क्रीनप्ले बदलना पड़ा क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि कोई और एक्टर उनकी जगह ले। वह कहते हैं, “मैंने उन्हें ध्यान में रखकर रोल लिखा था। मुझे नहीं लगता था कि कोई और ऐसा करने में सक्षम था। मैंने कैरेक्टर को बाहर निकाला।”
आखिरी बार सुरेखा को इत्र देने पहुंचे थे अंसारी
अंसारी जब आखिरी बार सुरेखा जी से मिले थे, तब उन्हें याद है कि उनका शरीर हार गया था, लेकिन उनकी आत्मा लड़ रही थी। इस बात को याद करते हुए वो कहते हैं, “मैं बस उनका हाथ पकड़ कर बैठ गया, और मैंने उन्हें वो इत्र की बोतलें दे दीं। जब मैं वहां से जाने लगा तो उन्होंने कहा, ‘अबके बिछड़े तो शायद ख्वाबों में मिलें’।”