पांच से अधिक बच्चों वाले ईसाई परिवार को आर्थिक मदद देगा ये चर्च

न्यूज डेस्क

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एक ओर देश के कई राज्य सरकारें जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बना रही हैं तो वहीं केरल में एक अलग मामला सामने आया है। केरल के कोट्टायम जिले में कैथोलिक गिरजाघर ने 5 या अधिक बच्चों वाले ईसाई परिवारों के लिए एक कल्याणकारी योजना की शुरुआत की है।

चर्च ने ऐलान किया है कि 5 या अधिक बच्चों वाले परिवारों आर्थिक मदद मिलेगी। यह कहते हुए कि ‘बच्चे भगवान की ओर से एक उपहार हैं’। चर्च के बिशप मार जोसेफ कल्लारंगट द्वारा जारी पत्र में 4 या अधिक बच्चों वाले परिवारों को वित्तीय और शैक्षिक सहायता सहित कई कल्याणकारी योजनाओं की सूची है।

वहीं चर्च के इस कदम को केरल में समुदाय की संख्या को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन के तौर पर देखा जा रहा है। सिरो-मालाबार गिरजाघर के पाला डायोसिस के फैमिली अपोस्टोलेट ने 2000 के बाद जिनकी शादी हुई और उनके पांच या अधिक बच्चे हैं, तो उन दंपति को 1,500 रुपये की मासिक आर्थिक सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है।

फैमिली अपोस्टलेट का नेतृत्व करने वाले फादर कुट्टियानकल ने कहा, ‘यह घोषणा गिरजाघर के ‘ईयर ऑफ द फैमिली उत्सव के हिस्से के तौर पर की गई है। इसका मकसद खास तौर पर कोविड-19 काल के बाद बड़े परिवारों को आर्थिक सहायता मुहैया कराना है। हमें इस संबंध में जल्द ही आवेदन मिलने लगेंगे और संभवत: हम अगस्त से सहायता राशि देना भी शुरु कर देंगे।’

बीते सोमवार को इस योजना की घोषण बिशप जोसेफ कलारागंट ने एक ऑनलाइन बैठक में की। इस कदम को साल 2019 में चांगानाचेरी आर्चडायोसिस द्वारा केरल में ईसाइयों की जनसंख्या घटने संबंधी जानकारी को लेकर लिखे गए पत्र से जोड़कर पूछे गए  सवाल पर फादर कुट्टियानकल ने कहा कि यह मुद्दा वास्तविक है।

फादर ने कहा, ‘ यह सच है कि केरल में ईसाई समुदाय की जसंख्या नीचे गिर रही है। हमारा वृद्धि दर कम है। योजना के पीछे यह भी कदम हो सकता है लेकिन तत्कालीन वजह महामारी काल में जरूरतों को पूरा करने में बड़े परिवारों को आ रही परेशानियों से उन्हें कुछ राहत प्रदान करना है।’

आर्चबिशप मारजोसेफ पेरूमथोट्टम की ओर जारी पत्र में कहा गया था कि केरल के गठन के दौरान ईसाई राज्य का दूसरा सबसे बड़ा समुदाय था लेकिन अब राज्य की कुल आबादी का अब वे 18.38 फीसदी ही हैं।

हाल के वर्षों में ईसाई समुदाय में जन्म दर घटकर 14 प्रतिशत रह गई। गिरजाघर ने कहा कि इसके द्वारा संचालित अस्पताल में चौथे बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं को प्रसव शुल्क का भुगतान नहीं करना होगा।

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