काबुल। पाकिस्तान नहीं चाहता है कि अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान की नई सरकार का नेतृत्व करे। पूर्व अफगान महिला सांसद का कहना है कि पाकिस्तान के खुफिया प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद यह सुनिश्चित करने के लिए काबुल पहुंचे है कि नई सरकार की कमान हक्कानी गुट के हाथ में हो। अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन को लेकर चल रही हलचल के बीच फैज हमीद शनिवार को अचानक अफगानिस्तान पहुंचे हैं। इससे यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान नई सरकार में अपना दखल चाहता है।
अफगानिस्तान की संसद की सदस्य मरियम सोलेमानखिल ने ट्वीट किया, ‘मैं जो सुन रही हूं, उसके मुताबिक आइएसआइ के डीजी काबुल इसलिए आए हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बरादर के हाथ में इस सरकार का नेतृत्व ना जाए और हक्कानी को इसकी कमान मिल जाए। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार गठन को लेकर तालिबान गुटों और तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला बरादर के बीच काफी असहमति है। इसके साथ ही बरादर ने अपने सभी लोगों को पंजशीर पर हमला करने से रोक दिया है।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद ऐसी खबरें थीं कि मुल्ला बरादर अफगानिस्तान में आगामी सरकार का नेतृत्व करेंगे, लेकिन अब मतभेद की खबरें आ रही हैं। उधर, फैज हमीद ऐसे समय में काबुल पहुंचे है, जहां एक तरफ पंजशीर घाटी में भारी लड़ाई चल रही है और दूसरी तरफ तालिबान नई सरकार के गठन की तैयार कर रहा है। पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी पर अफगानिस्तान पर कब्जा करने में तालिबान का समर्थन करने का आरोप है।
पाकिस्तान के पत्रकार हमजा अजहर सलाम ने कहा कि हमीद दोनों देशों के भविष्य पर चर्चा करने के लिए तालिबान के निमंत्रण पर अफगानिस्तान का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘डीजी आइएसआइ, लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद तालिबान के निमंत्रण पर पाकिस्तानी अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ काबुल पहुंचे हैं ताकि नई तालिबान सरकार के तहत पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंधों के भविष्य पर चर्चा की जा सके।