उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की तीन प्रतिज्ञा यात्राएं अपने-अपने पड़ाव की ओर आगे बढ़ रही हैं। यहां यात्रा यूपी के 27 जिलों के 144 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगी। जगह-जगह लोगों को सरकार की नाकामियों को बताया जाएगा। साथ ही, कांग्रेस पार्टी प्रियंका गांधी के संघर्षों और उनकी सात प्रतिज्ञाओं से जनता को रुबरु करवाएगी। इस यात्रा के जरिए कांग्रेस बुंदेलखंड, अवध और पश्चिम क्षेत्रों के वोटर्स (महिला, किसान, दलित और युवा) को लुभाने का प्रयास करेंगी।
10 दिन की यात्रा में 6 जगह शामिल हो सकती हैं प्रियंका
प्रतिज्ञा यात्रा का समापन एक नवंबर को होगा। अवध के बाराबंकी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने खुद यात्रा को हरी झंडी दिखाई थी। वे पूर्वांचल और पश्चिम की यात्राओं में भी शामिल होंगी। माना जा रहा है वह 6 जगहों पर निकलने वाली यात्रा में शामिल होंगी।

यह यात्रा के तीन रूट
पहला रूट: (बाराबंकी-बुंदेलखंड)- बाराबंकी से शुरू होकर झांसी में समाप्त होगी। इन आठ जिले में 38 विधान सभा को यह यात्राएं कवर करेंगी।
दूसरा रूट: (वाराणसी-अवध) वाराणसी से शुरू होकर रायबरेली में समाप्त होगी। इन आठ जिलों में 49 विधान सभा सीट से बस की गुजरेगी।
तीसरा रूट:( पश्चिम जोन)- सहारनपुर से शुरू होकर मथुरा में समाप्त होगी। 11 जिलों की 57 सीट की विधान सीट से गुजरेगी।
एक्सपर्ट्स से जानिए इस यात्रा के मायने
जीत में सबसे ज्यादा योगदान महिलाओं के समर्थन का
वरिष्ठ पत्रकार सुमन गुप्ता मानती है कि प्रियंका गांधी के महिला कार्ड से अन्य दूसरे दलों की चिंता तो बढ़ गई है। यात्रा की शुरुआत करने से पहले उन्होंने खेत में धान काट रही महिलाओं के साथ खाना खाया है, इससे कांग्रेस के लिए आने वाले समय में कुछ लाभ तो मिलेगा। फिलहाल, आगे की प्रतिज्ञा यात्रा में भी महिलाओं पर फोकस करते हुए उनके लिए अलग से घोषणा करने का भी ऐलान किया गया है।

महिला उत्पीड़न के मामले को प्रियंका ने हर बार उठाया
वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री का मानना है कि भारतीय राजनीति के इस यथार्थ को प्रियंका गांधी ने समझ लिया है। इसीलिए उन्होंने उत्तर प्रदेश में लगातार महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तीकरण का सवाल किया। उन्नाव, हाथरस, लखीमपुर जहां भी महिला उत्पीड़न का कोई मामला सामने आया प्रियंका ने उसे हर तरह से उठाया। कांग्रेस के इस दांव के दबाव में भाजपा, सपा और बसपा को भी कुछ इसी तरह के कदम उठाने होंगे।
उनका कहना है कि किसी भी चुनाव में किसी भी दल की जीत में सबसे ज्यादा योगदान महिलाओं के समर्थन का होता है। इंदिरा गांधी के जमाने में कांग्रेस को देश में महिलाओं का एकमुश्त समर्थन हासिल था, जो बाद में धीरे-धीरे घटता चला गया। 2004 में सोनिया गांधी के नेतृत्व में भी कांग्रेस को महिलाओं का खासा समर्थन मिला था, जो 2009 तक जारी रहा।
प. बंगाल में जब तक महिलाओं का समर्थन वाम मोर्चे के साथ रहा उसकी जीत सुनिश्चित रही। बाद में ममता बनर्जी ने महिलाओं के बीच अपनी अलग जगह बनाई और महिलाओं की ताकत की बदौलत ममता और तृणमूल इसी साल हुए विधानसभा चुनावों तक अजेय बनी हुई हैं।