हार्ट-पेशेंट बेटी को बचाने निकलीं नरगिस पर गिरा पाकिस्तानी रॉकेट

जम्मू-कश्मीर में उरी के रजरवानी गांव में रहने वाली नरगिस को बेटी की फिक्र हो रही थी। 14 साल की बेटी को हार्ट की परेशानी है। बाहर पाकिस्तान की तरफ से भारी गोलाबारी हो रही थी।

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नरगिस को लगा कि बेटी की तबीयत न बिगड़ जाए, इसलिए उन्होंने गाड़ी मंगाई और बेटी को लेकर बारामूला की तरफ चल पड़ीं। साथ में देवरानी भी थीं। घर से करीब एक किमी आगे बढ़े थे कि एक मोर्टार गिरा। बेटी को बचाने निकलीं नरगिस की मोर्टार का छर्रा लगने से मौत हो गई।

ये 8 मई, गुरुवार की बात है। इंडियन एयरफोर्स ने एक दिन पहले ही पाकिस्तान और PoK में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया था। 9 आतंकी ठिकानों पर हमला कर उन्हें तबाह कर दिया। इसके बाद से पाकिस्तान लगातार हैवी फायरिंग कर रहा है।

उरी में LoC से सटे गांवों में पूरी रात गोलाबारी हो रही है। इसमें 8 लोग घायल हो गए। दुकानें और घर तबाह हो गए। जान बचाने के लिए लोग गांव छोड़कर जा रहे हैं। पाकिस्तान ने 9 मई, शुक्रवार को उरी के अलावा, पुंछ, नौशेरा, राजौरी, जम्मू में भी फायरिंग और ड्रोन अटैक किया।।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की गोलाबारी में 9 मई की शाम तक 17 मौतें हुई हैं। 60 से ज्यादा लोग घायल हैं। LoC से सटे गांवों का माहौल देखने दैनिक भास्कर की टीम श्रीनगर से करीब 95 किमी दूर उरी पहुंची।

श्रीनगर से 95 किमी दूर मौजूद उरी पाकिस्तानी फायरिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में शामिल है। यहां के बांडी और लगामा गांव खाली हो गए हैं।

श्रीनगर से 95 किमी दूर मौजूद उरी पाकिस्तानी फायरिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में शामिल है। यहां के बांडी और लगामा गांव खाली हो गए हैं।

घने जंगल, धुंध से घिरे ऊंचे पहाड़ और पहाड़ों से निकलते झरने इस इलाके को जन्नत की तरह खूबसूरत बनाते हैं। LoC की तरफ बढ़ते ही इस खूबसूरती की जगह टूटे और धुंए से काले पड़ चुके घर दिखने लगते हैं। बचे घरों पर ताले लटके हैं।

उरी में पहला पड़ाव: रजरवानी गांव नॉर्थ कश्मीर का रजरवानी गांव पहाड़ी की तलहटी में बसा है। यहां हर घर में अब ताला लगा है। एक घर के बाहर कुछ लोग मिले। ये घर नरगिस बेगम का है।

ये लोग नरगिस बेगम के घर पहुंचे हैं। 8 मई को पाकिस्तान की फायरिंग में नरगिस की मौत हो गई थी।

ये लोग नरगिस बेगम के घर पहुंचे हैं। 8 मई को पाकिस्तान की फायरिंग में नरगिस की मौत हो गई थी।

घर के दरवाजे पर तसबीर बेगम मिलीं। हमने उनसे नरगिस के बारे में पूछा। तसबीर कहती हैं, ‘वे मेरी बड़ी भाभी थीं। छोटी भाभी घायल हैं। वे लोग जान बचाने के लिए दूसरी जगह जा रहे थे। मोर्टार गिरा तो दोनों जख्मी हो गईं। उन्हें एंबुलेंस से बारामूला के हॉस्पिटल ले गए। बड़ी भाभी नहीं बचीं। छोटी भाभी अब भी बेहोश हैं।’

तसबीर से बात करते वक्त नरगिस के ससुर मोहम्मद सलीम खान आ गए। सलीम कहते हैं, ‘पाकिस्तान की तरफ से शेलिंग शुरू हुई, तो हमने यहां से जाने का सोचा। मैं, मेरी पत्नी, बच्चे और दोनों बहू स्कॉर्पियो से निकल गए। हम 9 लोग थे। बाकी यहीं रुक गए।’

मोहम्मद सलीम खान बताते हैं, ‘घर से एक किमी आगे ही गए थे कि पहाड़ी से टकराते हुए एक मोर्टार सड़क की तरफ गिरा। पहले गाड़ी से पत्थर के कुछ टुकड़े टकराए। मैंने ड्राइवर से कहा कि संभलकर आगे बढ़ना।’

‘तभी पीछे बैठी बड़ी बहू नरगिस चीखी- मुझे कुछ लग गया। मैंने देखा कि उसके सिर से खून निकल रहा है। पूरी गाड़ी में खून भर गया। गाड़ी की छत से घुसे मोर्टार के दो छर्रों में दूसरा आगे वाली सीट पर बैठी छोटी बहू हाफिजा को लगा।’

गाड़ी की ओर इशारा करते हुए मोहम्मद सलीम बताते हैं, ‘इसकी छत के ऊपर सिर्फ एक छेद है। नीचे की तरफ दो जगह निशान हैं। लगता है कि दो छर्रे गाड़ी के नीचे से घुसे। एक छर्रा दाईं तरफ छोटी बहू को लगा, पीछे गया छर्रा बड़ी बहू नरगिस को लगा।’

नरगिस के रिश्तेदार मोबाइल में उनकी फोटो दिखाते हुए कहते हैं, नरगिस ने बेटी को बचाने के लिए जान दे दी। उनके 6 बच्चे हैं, जिनमें 4 बेटियां हैं।

नरगिस के रिश्तेदार मोबाइल में उनकी फोटो दिखाते हुए कहते हैं, नरगिस ने बेटी को बचाने के लिए जान दे दी। उनके 6 बच्चे हैं, जिनमें 4 बेटियां हैं।

नरगिस की बेटी दिल की मरीज, घबरा न जाए इसलिए फायरिंग से दूर जा रहे थे गाड़ी के पास ही हमें मोहम्मद शफी मिले। गाड़ी को अंदर से दिखाते हुए मोहम्मद शफी बताते हैं, ‘नरगिस बेगम इस सीट पर बैठी थीं। 8 बजे के आसपास शेलिंग शुरू हुई, तो सब घर से निकल गए। गाड़ी पूरी भरी थी। उसकी छोटी भाभी हफीजा बेगम आगे बैठी थीं। शेल गिरा तो छर्रे गाड़ी की छत से और बगल से अंदर घुसे।’

‘एकदम से नरगिस को ब्लड आ गया। उसकी नस कट गई। यहां से एक किमी दूर हॉस्पिटल है। उन्होंने थोड़ा-बहुत पट्टी करके बारामूला रेफर कर दिया। ऑक्सीजन लगाई, लेकिन आधे रास्ते में नरगिस की मौत हो गई।’

गांववाले बोले- यहां बंकर नहीं, रुके तो मर जाएंगे हमसे बात करने के कुछ देर बाद नरगिस का परिवार घर में ताला लगाकर चला गया। सभी किसी सुरक्षित ठिकाने की तरफ निकल गए। उनके घर से थोड़ा आगे हमें इखलाक मुगल मिले। वे भी गांव छोड़कर जा रहे थे। हमने पूछा कि आखिर सभी गांव क्यों छोड़ रहे हैं?

इखलाक जवाब देते हैं, ‘गांव में कोई बंकर नहीं है। सरकार ने बंकर नहीं बनवाए। यहां रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक गोलाबारी चलती रही। सरकार ने हमें अलर्ट भी नहीं किया। पूरी तहसील खाली हो गई है। एक भी घर में लोग नहीं बचे। यहां बंकर होते तो शायद महिला की जान बच जाती।’

इखलाक का डर सही निकला। 9 मई को पाकिस्तान ने फिर कश्मीर के उरी और पुंछ सेक्टर में फायरिंग की। वहीं, नौशेरा और जम्मू में ड्रोन से अटैक किया गया।

लगामा मार्केट में दुकानें टूटीं, मेडिकल शॉप भी बंद रजरवानी गांव से थोड़ा आगे करीब 4-5 किमी दूर लगामा गांव है। यहां पहाड़ी के नीचे सड़क किनारे कई दुकानें हैं। लगभग सभी गोलाबारी से टूट चुकी हैं। हम एक दुकान में पहुंचे। सामने गणेश और लक्ष्मी की फोटो लगी थी। यहां अब कोई नहीं था।

आसपास के घर भी खाली मिले। दुकान पर इतनी भारी गोलाबारी हुई थी कि लॉकर और स्टील की अलमारी भी टुकड़े-टुकड़े हो गई। दुकान के ठीक पीछे कुछ रिहायशी घर थे। घर खाली हैं और टूट चुके हैं। खिड़कियों के शीशे चकनाचूर हैं। यही देखकर समझ आ गया कि यहां कितनी ज्यादा गोलाबारी हुई है।

इसी मार्केट में हमें संदीप कुमार मिले। वे उरी के सबसे आखिरी गांव बांडी से पैदल दवा लेने लगामा आए थे। यहां कोई दुकान खुली नहीं मिली। संदीप बताते हैं, ‘मैं ऊपर वाले एरिया में रहता हूं। वहां भी गोलाबारी हुई है। हालांकि, दूसरी जगहों के मुकाबले कम है।

LoC से सटे गांवों में भारी तबाही, रात में बेड के नीचे लेट गुजारी रात लगामा मार्केट के बाद हम बांडी की तरफ गए। यहां भी लोग घर खाली कर सेफ जगह पर जा चुके है। कुछ लोग सामान लेने के लिए गांव में लौट रहे थे। यहां मिले अख्तर हुसैन मुगल बताते हैं, ‘हमारा गांव नीचे की तरफ है। बॉर्डर पार से पाकिस्तानी फौज सीधे हमारे गांव को टारगेट करती है। हमारे गांव में कोई बंकर नहीं है।’

‘गांव बिल्कुल LoC के पास है। सरकार ने कोई सुविधा नहीं दी है। रात में शेलिंग हो रही थी तो बेड के नीचे लेटकर पूरी रात काटी। सब बहुत डरे हुए हैं।’

LG मनोज सिन्हा बोले– हमें और बंकरों की जरूरत भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा उरी पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हमें नए बंकरों की जरूरत है। हमारी सेना का जोश बहुत हाई है। किसी भी स्थिति का मुकाबला करने के लिए सेना तैयार है। यहां के आम लोगों को असुविधा न हो, जम्मू-कश्मीर प्रशासन इसकी व्यवस्था में लगा है।

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं बॉर्डर पर उस गांव में गया था, जहां नुकसान हुआ है। एक बात ध्यान में आई है कि नए बंकरों की जरूरत है। आने वाले दिनों में इन्हें बनाया जाएगा।’

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा उरी में प्रभावित लोगों से मिलने पहुंचे। उन्होंने आर्थिक मदद देने का भी भरोसा दिया।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा उरी में प्रभावित लोगों से मिलने पहुंचे। उन्होंने आर्थिक मदद देने का भी भरोसा दिया।

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