नई दिल्ली। कोरोना वायरस की मार से शायद ही कोई हो आहत न हुआ है। कोरोना वायरस ने देश की अर्थव्यवस्था को ही बर्बाद नहीं किया बल्कि इससे आईपीओ बाजार भी तबाह हो गया है। इस साल के शुरुआती छह महीने में सिर्फ एक ही सफल आईपीओ आ पाया है। इस तरह से आईपीओ का आंकड़ा 2014 के स्तर पर पहुंच गया है।
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने पूरे देश में दो माह की सख्त तालाबंदी की। इस तालाबंदी का असर शेयर बाजार के साथ-साथ आईपीओ बाजार पर भी दिख रहा है। तभी तो वर्ष 2020 के शुरुआती 6 महीने में सिर्फ एक ही सफल आईपीओ आ पाया है और वह है एसबीआई कार्ड का।
इसमें भी निवेशक घाटे में ही रहे हैं। यह आईपीओ के भाव की तुलना में 18 प्रतिशत डिस्काउंट पर कारोबार कर रहा है। यह डिस्काउंट पर ही लिस्ट भी हुआ था। हालांकि अब सेबी ने यूटीआई के आईपीओ को मंजूरी दे दी है।
साल 2014 में भी छह माह में एक आईपीओ आया था। हालांकि आया दो था लेकिन एक आईपीओ को सब्सक्रिप्शन नहीं मिलने की वजह से वापस ले लिया गया था। इस साल भी यही हाल रहा है। इस साल एसबीआई कार्ड के अलावा एक एंटोनी वेस्ट का आईपीओ आया था, और उसे पूरा सब्सक्रिप्शन नहीं मिलने पर वापस ले लिया गया था।
बाजार नियामक सेबी ने यूटीआई के आईपीओ को मंजूरी दे दी है। यूटीआई 3000 करोड़ रुपए का आईपीओ लाने वाला है। पिछले हफ्ते ही इम्तियाजुर रहमान को कंपनी का स्थाई एमडी बनाया गया है। उम्मीद की जा रही है कि कंपनी शीघ्र ही आगे की रणनीति का खुलासा करेगी।
हालांकि कोरोना से पहले एलआईसी के आईपीओ को लेकर जरूर कुछ पॉजिटिव माहौल बना था, पर महामारी की वजह से हो नहीं पाया। हालांकि अभी भी यह संभव है कि इस वित्त वर्ष में यह आईपीओ आ जाएगा, पर यह काफी बड़ा आईपीओ है। इसलिए इसमें थोड़ी देरी भी हो सकती है।
जानकारों के मुताबिक अभी भी आईपीओ बाजार या सेकेंडरी मार्केट अगले 3 महीने तक खराब रह सकता है। माना जा रहा है कि पहला आईपीओ आने में अगस्त लग सकता है।
इस साल की शुरुआत में 20 हजार करोड़ रुपए के आईपीओ आने की उम्मीद थी, लेकिन यह सभी आईपीओ टल गए। इस वर्ष एसएमई प्लेटफॉर्म पर भी पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम आईपीओ आए हैं।
बीएसई और एनएसई पर मिलाकर एसएमई के महज 11 आईपीओ आए हैं। एसएमई प्लेटफॉर्म पर 2 से 5 करोड़ रुपए का भी आईपीओ लाने की मर्चेंट बैंकर्स की हिम्मत नहीं है। एसएमई प्लेटफॉर्म पर महज 65 करोड़ रुपए के आईपीओ आए हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम हैं।